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350 रुपए की नौकरी करने वाले मंजीत लाल ने खड़ी की 10 करोड़ टर्न ओवर वाली कंपनी

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मंजीत लाल की कोरोना काल में दिखी दरियादिली

मंजीत लाल की दरियादिली कोरोना काल में देखने को मिली. जब दिल खोलकर लोगों की मदद के लिए सामने आये. उन्होंने न सिर्फ कमजोर परिवार की राशन-पानी के साथ पैसे से मदद की, बल्कि उनकी बेटे-बेटियों की शादी में भी बढ़-चढ़कर मदद दी.

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क्रशर प्लांट में लगने वाले कन्वेयर के सबसे बड़े सप्लायर बने मंजीत

आज मंजीत लाल पाकुड़ में किसी परिचय के मोहताज नहीं है. इनका 10 करोड़ रुपये टर्न ओवर की हिंदुस्तान कनवेयर के नाम से कंपनी है. क्रशर प्लांट में लगने वाले कन्वेयर के सबसे बड़े सप्लायर में से एक हैं. लेकिन मंजीत लाल की चांदी के चम्मच के साथ पैदा नहीं हुए थे. उनका बचपन और जवानी दोनों संघर्षों में कटा है.

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टेलीफोन बूथ में 350 रुपए की सैलरी पर काम करते थे मंजीत लाल

मंजीत लाल खुद बताते हैं कि हमारा बैंड बोक्स के नाम से कपड़े आयरन करने और ड्राइ क्लीन करने का दुकान था. हम अपने भाइयों के साथ सुबह तीन बजे उठकर कपड़े आयरन करते थे. हमने करीब 14-15 साल की उम्र से काम करना शुरु किया. फिर आंबेडकर चौक के पास स्थित एक टेलीफोन बूथ में 350 रुपये महीने पर काम करना शुरू किया. किसी के पास काम करने का यह मेरा पहला और आखिरी काम था. यह काम हमने 1992 में किया था.

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संजीव खत्री के 5 हजार रुपए की आर्थिक मदद से खड़ा किया व्यापार

मंजीत लाल ने बताया कि चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव संजीव खत्री तब हमारे अच्छे मित्र थे. उन्होंने सलाह दी कि कन्वेयर बेल्ट का काम कीजिये. इसमें कुछ आमदनी मिलेगा. काम करने के लिए उन्होंने तब 5 हजार रुपया व्यवसाय शुरु करने के लिए भी दिया. उन पैसों से मैं कलकता से कन्वेयर बेल्ट लाकर पाकुड़ में बेचना शुरू किया. यह धंधा चल निकला.

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व्यापार में ईमानदारी की वजह से मिली सफलता

फिर धनबाद के झरिया के व्यवसायी सज्जन लाल जायसवाल के पास से बेल्ट लाना शुरू किया. उन्होंने भी मेरी काफी मदद की. 20 हजार रुपये का सामान लेने जाते तो वे मुझे 80 हजार रुपये का सामान उधारी में दे देते. मैंने व्यवसाय में ईमानदारी बरती और हिंदुस्तान कन्वेयर के नाम से अपना व्यवसाय खड़ा किया. आज हमारी कंपनी 10 करोड़ रुपये टर्न ओवर की कंपनी बन गयी है.

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पाकुड़ में अब जमीन का भी कारोबार करते हैं मंजीत लाल

मंजीत लाल यहीं नहीं रुके, इस दौरान उनके कई साथी भी जुड़ गये. सभी ने उनकी मदद की. आज वे पाकुड़ में जमीन का भी कारोबार कर रहे हैं. इसके साथ-साथ उन्होंने सिलीगुड़ी में भी लैंड डेवलपर का काम शुरु किया है. वे सिलीगुरी से 40 किलोमीटर दूर डोर्स में 68 बीधा का फार्म हाउस तैयार करा रहे हैं. जहां वे अपना बुढ़ापा व्यतीत करने की सोच रहे हैं.

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पत्नी मोहिनी रजक के साथ मंजीत ने कर दिया है देहदान

मंजीत लाल की पहचान एक सफल व्यवसायी के रूप में है ही साथ ही उन्हें एक समझदार शख्सियत के रुप में भी जाना जाता है. वे अपनी पत्नी मोहिनी रजक के साथ अपने बॉडी को भी सरकार को डोनेट कर दिया है. यह काम उन्होंने पांच साल पहले ही किया है.

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अपनी सफलता के राज के बारे में भी मंजीत लाल ने बताया

मंजीत लाल कहते हैं कि हर समाज और जाति के लोग मेरे मित्र हैं. मुझे हमेशा उनका साथ मिला. यहीं कारण है कि मैं सफल हो पाया. इसमें मेरी मेहनत के साथ-साथ उनकी मदद और सबका आशीर्वाद भी जुड़ा हुआ है.

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