झुंझुनू। रिपोर्ट टाइम्स।
राजस्थान की झुंझुनूं विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव ने भाजपा के लिए राजनीतिक उत्साह और राजेंद्र भांबू के लिए नई शुरुआत का संकेत दिया। इस चुनाव में पार्टी ने एक बड़ा दांव खेलते हुए अपने ही पूर्व बागी नेता को प्रत्याशी बनाया, और परिणाम ने इस निर्णय को सही साबित कर दिया।
भाजपा के प्रत्याशी राजेंद्र भांबू ने झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है। भांबू ने कांग्रेस के अमित ओला को 42,599 वोटों के बड़े अंतर से हराकर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया। उनकी यह जीत पार्टी के लिए उत्साहजनक तो है ही, साथ ही उनके राजनीतिक पुनर्वास की महत्वपूर्ण उपलब्धि भी मानी जा रही है।
राजेंद्र भांबू का यह सफर आसान नहीं था। 2023 के चुनाव में भाजपा से टिकट न मिलने पर उन्होंने बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशी को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। उस समय उन्होंने 42,407 वोट पाकर तीसरा स्थान हासिल किया था। लेकिन भाजपा ने उनके इस राजनीतिक प्रभाव को भांपते हुए उन्हें उपचुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया।
2018 में भी लड़े थे भाजपा के टिकट पर
राजेंद्र भांबू का भाजपा से पुराना नाता रहा है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भांबू भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और 35,612 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि, इस बार पार्टी ने बबलू चौधरी के बजाय भांबू पर भरोसा जताया, और उनके चुनावी अनुभव ने भाजपा के लिए शानदार परिणाम दिए।
राजेंद्र भांबू को उपराष्ट्रपति-वरिष्ठ नेताओं का भरोसा दिलाया टिकट
झुंझुनूं उपचुनाव में भाजपा ने राजेंद्र भांबू को प्रत्याशी बनाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला, जो उनके पक्ष में गया। भांबू की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ नजदीकी ने टिकट पाने में अहम भूमिका निभाई। धनखड़ के हर राजस्थान दौरे पर भांबू का सक्रिय रूप से स्वागत सत्कार में शामिल होना, उनकी पार्टी में बढ़ती साख का प्रमाण रहा। इसके साथ ही, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल का भरोसा और पूर्व सांसद संतोष अहलावत व मंत्री कन्हैयालाल चौधरी जैसे नेताओं की सिफारिश ने भांबू की उम्मीदवारी को मजबूत किया। टिकट के लिए लंबी कतार होने के बावजूद, इन समर्थन ने भांबू को चुनावी मैदान में उतारने का रास्ता आसान बना दिया।