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राजस्थान में सिकलसेल बीमारी सामने आई है, पिछले एक साल में बारां सहित 9 जिलों में करीब 3 हजार मरीज

बारां। रिपोर्ट टाइम्स।

सिकलसेल, एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज की उम्र कम हो जाती है। अगर दो मरीज इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो उन्हें आपस में शादी भी नहीं करनी चाहिए।

इसका असर उनके बच्चे पर पड़ सकता है। बारां सहित पूरे राजस्थान में इस बीमारी के 10 हजार से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। इस बीमारी में क्या होता है? क्यों इसके पीड़ित मरीजों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए? जानते हैं।

बारां सहित 9 जिलों में सिकलसेल के बीमार

राजस्थान में एक ऐसी बीमारी लोगों को जकड़ रही है, जो काफी खतरनाक है। इस बीमारी का नाम सिकलसेल है, जिसके बारां, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, व उदयपुर जिलों में पिछले एक साल में 2980 लोग पॉजिटिव मिले हैं। इसके अलावा इन जिलों के 7 हजार 766 लोगों में इसके प्रारंभिक लक्षण मिले हैं। यह बीमारी ज्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में स्पॉट हो रही है और महिलाएं इसकी ज्यादा चपेट में आ रही हैं।

एक साल में करीब 3 हजार मरीज पॉजीटिव

राजस्थान में पिछले एक साल में करीब 10 हजार लोगों में सिकलसेल पॉजिटिव या इसके लक्षण नजर आने पर चिकित्सा विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। प्रभावित इलाकों में लगातार सर्वे करवाया जा रहा है, जिससे मरीजों को चिह्नित कर उनका इलाज किया जा सके। इस रोग से पीड़ित मरीजों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दिसंबर-2024 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2 हजार 980 रोगियों में से 1590 महिलाएं हैं। जो सिकलसेल पॉजिटिव पाई गई हैं। इनका इलाज चल रहा है।

क्या है सिकलसेल, क्यों खतरनाक?

सिकलसेल बीमारी ब्लड डिसऑर्डर से जुड़ी है। इस बीमारी की वजह से व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, इससे शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत होती है। यानी यह बीमारी आपका हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ने देती। इससे आप कमजोर होने लगते हैं और कई मामलों में इस बीमारी से कम उम्र में ही मौत हो जाती है।

आपस में शादी ना करने की सलाह क्यों?

राजस्थान के कई जिलों में सिकलसेल के पॉजिटिव मिल चुके हैं। इसके बाद एक एडवाइजरी जारी कर सिकलसेल के दो मरीजों को आपस में शादी ना करने की सलाह दी है। क्योंकि अगर पति-पत्नी दोनों ही सिकलसेल पॉजीटिव हैं, तो उनका बच्चा कमजोर हो सकता है, उससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर्स का मानना है कि शादी से पहले साथी की स्क्रीनिंग जरुर कराई जाए, जिससे इस बीमारी का पता लग सके।

राहत की खबर, बारां में अब सिर्फ दो मरीज

राहत की बात ये है कि बारां CMHO डॉ. संजीव सक्सेना के मुताबिक जनवरी में जिले में 90 हजार लोगों की जांच की गई, जिसमें सर्वे में बारां में सिर्फ दो ही मरीज मिले हैं। बारां जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. नरेन्द्र मेघवाल का कहना है कि यह अनुवांशिक बीमारी है। महिला या पुरूष दोनों में कोई एक भी इस बीमारी से ग्रसित है तो इससे इनके बच्चे भी पॉजीटिव हो सकते हैं।

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