पिथौरागढ़ : नेपाल में सदन में नया नक्शा पास कराने के बाद नेपाल के संविधानविद् अब भारत के तीन गांवों के वाशिंदों को नेपाल की नागरिकता हासिल करने का न्यौता दे रहे हैं। उनके मुताबिक अब भारत के तीन गांवों गुंजी, नाबी और कुटी गांवों की तीन हजार की आबादी को नेपाली नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग खुल चुका है। नेपाल का ये दुस्साहस भारत की मित्रता के लिए आघात की तरह है। भारत विवादों को जहां बातचीत के जरिए हल करना चाह रहा है वहीं, नेपाल निरंतर दुस्साहस दिखा रहा है।
तीनों गांवों की भूमि नेपाल के नक्शे में शमिल
नेपाल के काठमांडू से प्रकाशित एक अखबार में संविधानविद पूर्णमान शाक्य के बयानों का हवाला देकर कहा गया है कि अब भारत के तीन गांवों के ग्रामीण नेपाली की नागरिकता लेना चाहे तो सरकार उन्हें नागरिकता दे सकती है। अखबार में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के जानकार पूर्णमान शाक्य ने कहा है कि तीन गांवों के ग्रामीणों के पास भारत के आधार कार्ड होंगे परंतु जिस जमीन पर वह रह रहे हैं वह भूमि नेपाल की है। यह अब नेपाल के नक्शे में शामिल है।
तीन गांवों की जनसंख्या तीन हजार
अखबार में पूर्णमान शाक्य के बयानों के आधार पर कहा है कि अब नेपाल सरकार का अधिकृत नक्शा बन चुका है। जिसमें व्यास गांवपालिका को नेपाल में शामिल किया गया है। इस गांवपालिका में तीन ग्राम गुंजी, नाबी और कुटी आते हैं। भारत के संचार माध्यमों के हिसाब से इन तीन गांवों की जनसंख्या तीन हजार है। इन तीन गांवों के कई लोग भारत सरकार के उच्च पदों पर आसीन हैं। कालापानी, लिपुलेक और लिम्पियाधुरा क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस तैनात है। इस क्षेत्र में भारत ने पांच हजार सुरक्षाकर्मी भारत ने तैनात किए हैं। यहां जाने के लिए भारत में विशेष पास जारी किए जाते हैं।