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आज का पंचांग : 25 जून 2020

*अथ  पंचांगम्*

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*दिनाँक -: 25/06/2020,गुरुवार*
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
आषाढ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

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तिथि ———-चतुर्थी 08:47:01        तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ——-आश्लेषा 12:25:37
योग ————-हर्शण 06:56:15
योग —————वज्र 28:30:42
करण ——विष्टि भद्र 08:47:01
करण ————-बव 19:56:44
वार ————————-गुरूवार
माह ————————– आषाढ
चन्द्र राशि ——–कर्क12:25:37
चन्द्र राशि    ——————–सिंह
सूर्य राशि ——————–मिथुन
रितु —————————-ग्रीष्म
सायन —————————वर्षा
आयन ——————–उत्तरायण
सायन ——————-दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942

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वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:26:49
सूर्यास्त —————–19:17:03
दिन काल ————-13:50:13
रात्री काल ————-10:10:04
चंद्रोदय —————-09:09:07
चंद्रास्त —————–22:51:34

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लग्न —-मिथुन 9°46′ , 69°46′

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सूर्य नक्षत्र ——————–आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र —————-आश्लेषा
नक्षत्र पाया ——————–रजत

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*???  पद, चरण  ???*

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डे —-आश्लेषा 06:38:15

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डो —-आश्लेषा 12:25:37

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मा —-मघा 18:11:53

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मी —-मघा 23:57:07

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*???  ग्रह गोचर  ???*

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        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=मिथुन 09°22  ‘     आर्द्रा,   1     कु
चन्द्र = कर्क 12°23  ‘   अश्लेषा’  3   डे
बुध = मिथुन 19 °10 ‘   आर्द्रा  ‘   4  छ
शुक्र= वृषभ 11°55,    रोहिणी   ‘  1   ओ
मंगल=मीन  03°30’ उo भा o  ‘ 1   दू
गुरु=मकर  00°42 ‘   उ oषाo ,    2  भो
शनि=मकर  06°43’ उ oषा o   ‘ 4   जी
राहू=मिथुन 04°50 ‘  मृगशिरा ,   4  की
केतु=धनु  04 ° 50 ‘       मूल    , 2  यो

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*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*

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राहू काल 14:06 – 15:50 अशुभ
यम घंटा 05:27 – 07:11 अशुभ
गुली काल 08:54 – 10:38 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:04 – 10:59 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:36 – 16:31 अशुभ

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?गंड मूल अहोरात्र अशुभ

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?चोघडिया, दिन
शुभ 05:27 – 07:11 शुभ
रोग 07:11 – 08:54 अशुभ
उद्वेग 08:54 – 10:38 अशुभ
चर 10:38 – 12:22 शुभ
लाभ 12:22 – 14:06 शुभ
अमृत 14:06 – 15:50 शुभ
काल 15:50 – 17:33 अशुभ
शुभ 17:33 – 19:17 शुभ

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?चोघडिया, रात
अमृत 19:17 – 20:33 शुभ
चर 20:33 – 21:50 शुभ
रोग 21:50 – 23:06 अशुभ
काल 23:06 – 24:22* अशुभ
लाभ 24:22* – 25:38* शुभ
उद्वेग 25:38* – 26:55* अशुभ
शुभ 26:55* – 28:11* शुभ
अमृत 28:11* – 29:27* शुभ

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?होरा, दिन
बृहस्पति 05:27 – 06:36
मंगल 06:36 – 07:45
सूर्य 07:45 – 08:54
शुक्र 08:54 – 10:04
बुध 10:04 – 11:13
चन्द्र 11:13 – 12:22
शनि 12:22 – 13:31
बृहस्पति 13:31 – 14:40
मंगल 14:40 – 15:50
सूर्य 15:50 – 16:59
शुक्र 16:59 – 18:08
बुध 18:08 – 19:17

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?होरा, रात
चन्द्र 19:17 – 20:08
शनि 20:08 – 20:59
बृहस्पति 20:59 – 21:50
मंगल 21:50 – 22:40
सूर्य 22:40 – 23:31
शुक्र 23:31 – 24:22
बुध 24:22* – 25:13
चन्द्र 25:13* – 26:04
शनि 26:04* – 26:55
बृहस्पति 26:55* – 27:45
मंगल 27:45* – 28:36
सूर्य 28:36* – 29:27

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*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

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*?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

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*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

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       4 + 5 + 1 =  10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

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*?    शिव वास एवं फल -:*

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    4 + 4 + 5 = 13  ÷ 7 = 6 शेष

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क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक

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*?भद्रा वास एवं फल -:*

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*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

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प्रातः  08:47  तक समाप्त

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मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

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*??    विशेष जानकारी   ??*

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*???   शुभ विचार   ???*

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ये तु संवत्सरं पूर्ण नित्यं मौनेन भुंजते ।
युगकोटि सहस्त्रन्तु स्वर्गलोके महीयते ।।
।।चा o नी o।।

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   जो व्यक्ति एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का ध्यान करेगा और मुह से कुछ नहीं बोलेगा उसे एक हजार करोड़ वर्ष तक स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी.

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*???  सुभाषितानि  ???*

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गीता -: विभूतियोग अo-10

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यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम्‌ ।,
असम्मूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥,

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जो मुझको अजन्मा अर्थात्‌ वास्तव में जन्मरहित, अनादि (अनादि उसको कहते हैं जो आदि रहित हो एवं सबका कारण हो) और लोकों का महान्‌ ईश्वर तत्त्व से जानता है, वह मनुष्यों में ज्ञानवान्‌ पुरुष संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है॥,3॥

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