https://youtu.be/JafNoYSHSE8
चिड़ावा। शहर के पं.गणेश नारायण मार्ग पर पुरानी बस्ती में बना हुआ है ये शिल्पदेव विश्वकर्मा का मंदिर। इस मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा 18 मई 2006 में हुई। जांगिड़ समाज के साथ ही अन्य भामाशाहों ने भी इसमें अपना सहयोग दिया। चूंकि शिल्पदेव का मंदिर है लिहाजा शिल्पकला का अद्भुत नजारा भी यहां दिखना स्वाभाविक था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर गणपति विराजे हैं और मूर्तिकला का आकर्षक व प्रभावित करने वाला स्वरूप यहां देखा जा सकता है। मंदिर में प्रवेश करते ही सामने गर्भगृह में भगवान विश्वकर्मा विराजे हैं। गर्भगृह के ऊपर संत की एक अद्भुत उकेरी हुई तस्वीर भी लगी है। गर्भगृह के एक तरफ बना है शिवालय। शिवालय में पूरा शिव परिवार आसीन है। वहीं यहां तुलसी, बिल्व पत्र, आक, पीपल और केले आदि पेड़-पौधे लगाए हुए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। इधर गर्भगृह की दूसरी तरफ हनुमानजी महाराज, साईं बाबा और दुर्गा माता भी यहां विराजे हैं। इन सबकी स्थापना विश्वकर्माजी के साथ की गई है। आस्था की इस डगर पर एक बार जरूर पधारें। अब दीजिए इजाजत… कल फिर मिलेंगे…हर हर महादेव