पूरी वीडियो स्टोरी देखने के लिए नीचे तस्वीर पर दिए लाल बटन दबाएं-
https://youtu.be/6zGhywjmPiM
चिड़ावा। शिववनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं प्राचीन द्वारिकाधीश मन्दिर। इस मंदिर को जोशियों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। करीबन 250 साल पहले इस मंदिर स्थापना हुई। इसकी स्थापना की भी रोचक कहानी है।
कॉलेज रोड पर मस्जिद से पहले नेमानी चौक से स्व. श्री रामकिशन सेखसरिया की हवेली की ओर जाने वाले रास्ते पर बने इस मंदिर को सेठ घड़सीराम केडिया ने बनवाकर गुलाबराय जोशी को सौंपा।
जानकारी के अनुसार चिड़ावा निवासी ज्योतिष विद्या के प्रकांड विद्वान गुलाबराय जोशी ने तत्कालीन सेठ घड़सीराम जी केडिया को कोई फलादेश बताया था, जो आगे चलकर अक्षरशः सत्य साबित हुआ। इस बात से प्रसन्न होकर सेठ श्री घड़सीराम जी ने जोशी जी की इच्छानुसार उपरोक्त मंदिर का निर्माण कर जोशी को सौंप दिया। बाद में मंदिर के बगल में एक धर्मशाला भी बनाई गई।
वर्तमान में स्व. गुलाबराय जोशी के वंशज मंदिर तथा धर्मशाला को संभाल रहे है। ऊंचाई पर बने मन्दिर में जाने के लिए आपको कुछ सीढ़ियां चढ़कर मन्दिर में जाना होगा। मन्दिर में बिल्कुल सामने द्वारिकाधीशजी और ठाकुरानीजी गर्भगृह में विराजे हैं। वहीं लड्डू गोपाल भी यहां विराजे हैं। वहीं मन्दिर में घुसते ही दाईं तरफ शिवालय बना है। ये शिवालय भी मन्दिर निर्माण के समय ही स्थापित किया गया था। वहीं बाईं तरफ हनुमानजी महाराज की सिन्दूरवदन मूर्ति विराजित है। स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना यहां देखने को मिलता है। प्राचीन शैली में बने मन्दिर में दर्शन लाभ लेने एक बार जरूर पधारें। अब दीजिए इजाजत कल फिर मिलेंगे एक और प्राचीन शिवालय में…हर हर महादेव