सेमरियावां/ सन्त कबीरनगर (उ.प्र.)
रिपोर्ट-नफीस सिद्दीकी
वित्तविहीन शिक्षक का मामला
मानदेय देने की मांग
घर बैठने के लिए है मजबूर
स्कूलों की भी हो आर्थिक मदद
स्टूडेंट्स एंड यूथ आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य मो अहमद ने माध्यमिक व बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त वित्त विहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की कोरोना काल में हुई दयनीय आर्थिक स्थिति पर मुख्य मंत्री व शिक्षा मंत्री से विशेष आर्थिक सहयोग की मांग की है।
मो अहमद ने मांग किया है कि प्रदेश सहित जनपद के हजारों शिक्षक व कर्मचारी जो वित्विहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों व प्राईवेट स्कूलों में कार्यरत हैं ।कोरोना काल में आर्थिक परेशानी उठा रहे हैं।इनकी आय का स्रोत बन्द है। विद्यालय के प्रबन्धक भी कोरोना वबा के चलते परेशान हैं।पांच माह से आर्थिक तंगी का दंश झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कारोना संक्रमण के चलते लाॅकडाउन के कारण पूर्णतया प्राइवेट स्कूल बन्द हैं। इनकी सीमित आय भी बन्द हो गई है। शिक्षक बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
मो अहमद ने प्रदेश सरकार से इन शिक्षकों के लिए विशेष आर्थिक सहयोग की मांग की है। इन शिक्षकों को मार्च माह से परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों/अनुदेशकों की तरह आर्थिक सहायता हेतु मानदेय दिए जाने की मांग किया है।
मो अहमद ने कहा कि विद्यालय बंद होने के कारण अभिभावक भी परेशान हैं।ग्रामीण क्षेत्र के गार्जियन का भी कारोबार प्रभावित है।आय के स्रोत पर ग्रहण लग गया है।जिससे फीस भी जमा नहीं कर पा रहे हैं।विद्यालय प्रबन्धक को स्कूल संचालन में परेशानी उठानी पड़ रही है।
कोरोना काल में इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों,कर्मचारियों और विद्यालय प्रबन्ध तंत्र की कोई सुधि लेने वाला नहीं नहीं है।जबकि इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारी और विद्यालय प्रबन्ध तंत्र भी प्रदेश में सब पढ़ें,सब बढ़े और सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाने में सरकार को की वर्षों से बहुमूल्य योगदान देते आ रहे हैं। इसके बदले इनको कभी सरकार से कोई मदद नहीं मिली है । कोविड-19 कारोना संक्रमण काल में ये शिक्षक घोर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। बच्चों व परिवार के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। यही स्थिति बनी रही तो विद्यालय बंद और वर्षो से सीमित वेतन पर शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षक बेरोजगार हो जाएगें।
मो अहमद ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग किया है कि इन शिक्षकों को
कोविड-19 (कारोना संक्रमण ) काल में बंद चल रहे स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को सरकारी विद्यालय में तैनात शिक्षामित्रों/अनुदेशकों की तरह मानदेय के रूप में विशेष आर्थिक सहायता प्रदान किया जाय , ताकि उनका व उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके।साथ ही विद्यालयों द्वारा लोन पर लिए गए वाहनों के किस्त ,वाहनों के कागजात की वैधता व बिजली बिल इत्यादि को माफ किया जाय। विद्यालयों को सहायतार्थ अलग से आर्थिक पैकेज दिया जाए। इन शिक्षण संस्थानों को सितम्बर माह से सशर्त गाइड लाइन के अनुरूप खोलने की अनुमति प्रदान की जाय।
प्रदेश में सरकारी विद्यालयों से प्राईवेट विद्यालयों की संख्या बहुत अधिक है, सबसे अधिक बच्चे भी इन्हीं विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करते हैं । प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थिति का आकलन करते हुए उनके भरण-पोषण के लिए कोरोना संक्रमण काल तक मानदेय के रूप में सरकार द्वारा अवश्य आर्थिक सहायता दी जाए।विद्यालयों को भी आर्थिक मदद हो।