शिवनगरी चिड़ावा के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं सूरजगढ़ मोड़ पर आदर्श सेवा प्रतिष्ठान के पीछे शिव कॉलोनी में ढस्सा परिवार की बगीची में। इस बगीची की कहानी बड़ी अद्भुत है। यहां पर दो देवालय बने हैं और ये दोनों देवालय दो पुत्रों द्वारा अपने पिता की याद में बनाए गए हैं। आइए तो चलते हैं बगीची के अंदर…
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बगीची के दो द्वार है । बगीची में बिल्कुल सामने बना है हनुमान जी का मन्दिर। इस मंदिर की स्थापना इंद्र ढस्सा ने अपने पिता जमनाधर ढस्सा की स्मृति में कराया। यहां पर पहले दीवार पर हनुमान जी की एक आकृति उभरी। जिसके बाद यहां बालाजी का मन्दिर स्थापित किया गया।
मन्दिर में हनुमानजी की मुख्य सिन्दूरवदन मूर्ति के अलावा कुछ छोटे विग्रह भी यहां विराजे हैं। घर पर पूजा ना होने के चलते श्रद्धालु इन्हें यहां पूजन स्थल पर विराजित करा गए। इस मंदिर के बिल्कुल पास में बना है शिवालय। इस शिवालय की स्थापना दिवंगत पत्रकार गोपाल ढस्सा ने अपने पिता राधेश्याम ढस्सा की स्मृति में करवाई। शिवालय की खास बात ये है कि इसमें प्रवेश करते ही सामने लड्डू गोपाल भी विराजे हैं। वहीं शिवलिंग के बिल्कुल पास में श्री गणेश, माता पार्वती कार्तिकेय जी और नन्दी महाराज विराजे हैं। यहां भगवान आशुतोष का अस्त्र त्रिशूल भी लगा है। शिवालय में अन्य देवी देवताओं के चित्र भी लगे हैं। वहीं शिवालय के बाहर निकलते ही सामने लगी है तुलसी माता। यहां पर काफी पेड़-पौधे भी लगे हैं जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। जल्द ही इस परिसर में श्री श्याम, माता काली और नृसिंह भगवान की मूर्ति भी गोपाल ढस्सा के पुत्रों कृष्ण और आशीष ढस्सा द्वारा अपने पिता की स्मृति में कराई जाएगी। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में आस्थावान श्रद्धालु भगवान के दर्शनों को आते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास मनोकामना पूर्ति के रूप में यहां फलीभूत होता रहा है। ऐसे में आप सभी को भी एक बार यहां दर्शनों को पधारना चाहिए। आस्था की इस दर से अब लेते हैं विदाई..और कल फिर मिलेंगे ऐसी ही आस्था की एक और ठौर पर…जहां से बताएंगे आपको भक्त और भगवान की मिलन स्थली की अद्भुत कहानी…दीजिए इजाजत..हर हर महादेव