शिवनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं चिड़ावा-सूरजगढ़ बाईपास पर सेही कलां की ओर जाने वाले रास्ते पर बने भूतनाथ मन्दिर में। श्मशान भूमि पर विराजे हैं यहां भूतनाथ।
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https://youtu.be/G8jBwXBiMBI
खास बात ये है कि ये पवित्र स्थान दो जोहड़ों के मध्य बना है। यहां सेहीकलां की श्मशान भूमि है। मुख्य सड़क मार्ग के बिल्कुल नजदीक बने इस शिवालय की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक है। गांव के जयंत भारद्वाज ने बताया कि उनके पिता सुदामाराम भारद्वाज पहले जयपुर रहते थे। वहां विश्वकर्मा इलाके में 5 नम्बर रोड पर 40 साल पहले उन्होंने शिवालय की स्थापना की। इसके बाद वे जब गांव आए तो यहां भी शिव के प्रति आस्था के चलते वे प्रतिदिन चिड़ावा में भूतनाथ मन्दिर में जाने लगे। वहां पर उन्हें गांव के इस श्मशान में भूतनाथ को विराजित कराने की प्रेरणा मिली। वर्ष 2012 में उन्होंने 3 माह तक यहां मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा अर्चना की। उसके बाद ईश्वर की असीम अनुकम्पा से यहां पर शिवालय बनाकर भगवान भूतनाथ को विराजित कराया गया। इसके बाद वे पूरे दिन यहीं पर रहते। इस दौरान उन्होंने श्मशान भूमि पर चारों तरफ पेड़-पौधे लगाए। ग्रामीणों ने भी इस कार्य में उनका सहयोग दिया। आज ये स्थान काफी रमणीय बन गया है। पर्यावरण का सन्देश यहां से ले जाया जा सकता है। वहीं पास में ही तीन टीन शेड लगाकर अंतिम संस्कार करने के लिए भी सुव्यवस्थित व्यवस्था यहां कर दी गई है। यहां पर पीने के पानी का भी इंतजाम किया गया। फिलहाल प्रतिदिन बड़ी संख्या में ग्रामीण सुबह यहां भूतनाथ के दर्शनों को आते हैं। विशेष बात ये है कि यहां पर शिवालय के पास एक श्वान निरन्तर बैठा रहता है। ये श्वान यहां काफी लंबे समय से है। लेकिन ये भूतनाथ मन्दिर के इर्दगिर्द ही रहता है। हालांकि ये किसी भी श्रद्धालु को कभी नुकसान नहीं पहुंचाता है। सुदामाराम तो अब नहीं रहे। लेकिन उनके परिजन और ग्रामीण निरन्तर यहां आते हैं और भोलेनाथ की पूजा के साथ ही यहां लगे पेड़-पौधों की देखभाल का जिम्मा ये सम्भाले हुए हैं। तो एक बार जरूर ईश्वरीय प्रेरणा से स्थापित एक भक्त की आस्था के मूर्त प्रमाण को देखने। आशा है कि आप जरूर एक बार यहां आएंगे। अब दीजिए इजाजत..कल फिर मिलेंगे…एक और देवालय में…हर हर महादेव…