झांसी में एक आपराधिक मामले के गवाह की हत्या करने वाले दो भाइयों व बेटे को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। नहीं देने पर एक साल की जेल अतिरिक्त काटनी होगी। वारदात के करीब साढ़े 9 साल बाद महत्वपूर्ण फैसला अपर सत्र न्यायाधीश जयतेंद्र कुमार ने सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ दण्डादेश के संबंध में किसी प्रकार की कोई सहानुभूति एवं लचीला रुख समाज एवं न्याय व्यवस्था के लिए घातक होगा। इसका समाज में गलत संदेश जाएगा। इसलिए तीनों को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई जाती है।
रिटायर फौजी का हुआ था मर्डर
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह गौर ने बताया कि जनपद के कटरा कस्बा निवासी कालीचरण रिटायर फौजी थे और सरकारी राशन विक्रेता थे। मोहल्ले के नाथूराम यादव पुत्र भजनलाल, उसका भाई नोरे उर्फ रामसिंह और नाथूराम का बेटा बृजेश उर्फ भालू पर एक केस दर्ज हुआ था। इस मामले में कालीचरण तीनों के खिलाफ गवाह थे। तीनों उनको गवाही न देने का दबाव बना रहे थे। लेकिन कालीचरण ने गवाही दे रहे थे। इसको लेकर तीनों रंजिश पाले थे।
23 अगस्त 2012 की शाम 5:30 बजे दुकान बंद करके कालीचरण मकान की बैठक में बैठे थे। बेटा ओम प्रकाश, पत्नी और छोटो बेटा राम प्रकाश भी बैठे हुए थे। तभी तीनों आरोपी गाली गलौच करते हुए पत्थर-ईंट लेकर बैठक में घुस आए। तीनों ने पत्थर फेंककर मारे, जिसमें कालीचरण गिर पड़े और कालीचरण की मौके पर मौत हो गई थी।
दहशत में लोगों ने बंद कर लिए थे दरवाजे
हमले के बाद कालीचरण के दोनों बेटे व पत्नी चिल्लाई तो शोर सुनकर करगुंवा के उत्तम सिंह और उपेंद्र बचाने के लिए दौड़े। तब तीनों ने जान से मारने की धमकी देकर दहशत पैदा कर ली। जिससे मोहल्ले के लाेग दरवाजा बंद करके अपने-अपने घरों में घुस गए थे और तीनों आरोपी भाग गए थे। बेटा ओमप्रकाश उसी दिन भय के कारण छिपकर रिपोर्ट कराने के लिए थाने में गया था। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर तीनों के खिलाफ काेर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए थे। अब कोर्ट ने सजा सुनाई है।