नई राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी एनपीएस और पुरानी पेंशन को लेकर सरकारी कर्मचारी आंदोलन के मूड में हैं। इसी सिलसिले में कई कर्मचारी संगठनों ने अगले सप्ताह 28-29 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। बुनियादी रूप से यह मामला अब राजनीतिक हो गया है। हाल के विधानसभा चुनावों में भी इसकी गूंज सुनाई दी थी। एनपीएस और पुरानी पेंशन योजनाओं के गुण-दोषों पर चर्चा करने के स्थान पर राजनीतिक रूप से यह ऐसा मुद्दा बन गया है, जो सीधे-सीधे वोटों के गणित से जुड़ गया है। सवाल यह है कि केवल सरकारी ढांचे से जुड़े लोगों को ही बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा कवच अनिवार्य क्यों है? क्या देश के हर नागरिक को ऐसी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में नही होना चाहिए। कई देशों में पहले से ही ऐसे पेंशन प्रविधान हैं।
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