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फिनलैंड और स्वीडन की नाटो संगठन में शामिल होने की चर्चा के साथ यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या रूसी राष्ट्रपति पुतिन कूटनीतिक जंग हारते हुए नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस यूक्रेन जंग के नतीजे चाहे जो भी हो, इस युद्ध में चाहे यूक्रेनी सेना का जितना भी बड़ा नुकसान हुआ हो, लेकिन कूटनीतिक मोर्चे पर राष्ट्रपति पुतिन इस जंग को हारते हुए नजर आ रहे हैं। इस जंग के बाद यूरोपीय देश रूस के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। खासकर इसमें वो मुल्क शामिल हैं जो सोवियत संघ के विघटन के बाद गुटनिरपेक्ष की नीति का अनुसरण किए हुए हैं। इसमें से अधिकतर राष्ट्रों में असुरक्षा की भावना घर कर गई है। यही कारण है कि अपनी सुरक्षा के मद्देनजर ये मुल्क नाटो संगठन की ओर प्रेरित हो रहे हैं।
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