reporttimes
इसलिए इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) क्या है? इसका विचार कैसे सामने आया? इसमें कौन-कौन से देश शामिल हैं? भारत के सामने इससे जुड़ी कौन सी चिंता है और इस पर चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी? ये कुछ ऐसे महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिसका जवाब जानने की जिज्ञासा सबके मन में है। क्योंकि भले ही इसकी नींव अमेरिका ने रखी हो, लेकिन भारत द्वारा इसका समर्थन करते ही इसका क्षेत्रीय महत्व बढ़ गया।
# 13 देशों का यह गठबंधन दुनिया की कुल जीडीपी के 40 प्रतिशत हिस्से का करते हैं प्रतिनिधित्व
बता दें कि इसके तेरह भागीदार देशों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे चार सदस्यीय क्वाड देशों के अलावा ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम जैसे एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई देश भी शामिल हैं। कहना न होगा कि 13 देशों का ये गठबंधन दुनिया की कुल जीडीपी का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।
सबसे खास बात यह है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर इस संगठन के सभी साझेदार एशिया महाद्वीप के हैं। इनमें से ज्यादातर देश चीन के पड़ोसी हैं और जिनके रिश्ते चीन के साथ अच्छे नहीं रहे हैं। लिहाजा, इस व्यापारिक प्लेटफॉर्म को बनाने का मकसद ही इंडो-पैसिफिक में विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ चीन के आर्थिक प्रभुत्व का मुकाबला करना है।