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हमारी देश के संसद के दो सदन है, पहला- लोकसभा और दूसरा-राज्यसभा। लोकसभा को संसद का निचला सदन कहा जाता है। इसके सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं। वहीं राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है और इसके सदस्यों को जनता की तरफ से चुने जाने वाले प्रतिनिधि यानी विधायक चुनते हैं। इस संदर्भ में राज्यसभा सदस्यों के चुनाव को अप्रत्यक्ष चुनाव कहा जाता है। 15 राज्यों की 57 सीटों पर 10 जून को वोटिंग होनी है। नतीजे भी उसी दिन मिल जाएंगे। लेकिन कई लोगों के नतीजे उससे पहले ही आ गए। राज्यसभा सीटों को लेकर बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू और जेएमएम ने अपनी-अपनी तरफ से उम्मदावारों का ऐलान कर दिया है। इसके बाद लगभग सभी दलों में कहीं खुशी, कहीं गम का माहौल है। 31 मई को नामांकन का आखिरी दिन था और इसके साथ ही राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई। लेकिन इससे पहले जब एक-एक कर राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रहीं थी। लोगों की नजर कांग्रेस की सूची पर थी कि क्या गांधी परिवार का मुखर विरोध करने वाला समूह जिसे जी-23 कहा जाता है। उसका कुछ भला होगा। इस समूह का हिस्सा रहे कपिल सिब्बल तो पहले ही सपा के समर्थन से राज्यसभा आने की तैयारी कर चुके हैं। बाकी बचे नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे चेहरे नेपथ्य में छूट गए। अपनी पार्टी के फैसले से जिन दो केंद्रीय मंत्रियों की कुर्सी खतरे में पड़ गई है, उनमें बीजेपी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी और जेडीयू से आरसीपी सिंह शामिल हैं। भाजपा ने पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण को फिर से प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट नहीं मिला है। दूसरी ओर जेडीयू के कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री आरसीपी सिंह को भी उनकी पार्टी ने राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला लिया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मोदी कैबिनेट से दो मंत्रियों का इस्तीफा होगा? मुख्यार अब्बास नकवी और आरसीपी सिंह के सामने आगे और कौन से विकल्प मौजूद हैं।