चिड़ावा।संजय दाधीच
भगवान शिव सृष्टि के आदि पुरुष हैं। उनकी प्रत्येक लीला का संचालन माता पार्वती के बिना सम्भव नहीं है। शिव-पार्वती ही सृष्टि के आधार हैं। ये प्रवचन कथाव्यास आचार्य पं. राजेश्वर महाराज ने यहां राणीसती मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शिव- पार्वती प्रसंग की व्याख्या करते हुए दिए। उन्होंने प्रहलाद चरित्र की भी विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा कि ईश्वर को दुख में सभी याद करते हैं। लेकिन सुख के समय भूल जाते हैं।

लेकिन प्रहलाद ने तो बाल्यावस्था से ही श्री हरि भक्ति की। पिता हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को अनेक यातनाएं दी। लेकिन हर बार श्री हरि के नाम स्मरण जारी रखा। आखिर में भगवान ने नृसिंह अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद को साक्षात दर्शन दिए। कथा के दौरान शुकदेव की नयनाभिराम झांकी सजाई गई। वहीं कथा के प्रारम्भ में यजमान राजेंद्र प्रसाद- शारदा देवी सोनी, आदित्य, पंकज,संजय, दीपचंद, दामोदर, विजय कुमार, सज्जन शर्मा, प्रेमलता, नीलम, पार्वती, सुमन आदि ने भागवत व व्यास पूजन किया। इस दौरान श्यामसुंदर सोनी, मुरारीलाल, नरोत्तम, जनार्दन, संतोष देवी, प्रमोद सोनी, सम्पति देवी, महेंद्र सोनी, सरोज देवी, मनोज, अरविन्द , पीयूष , प्रशांत, परविंद्र, जितेंद्र सोनी, सौरभ, अंशुल, नरेंद्र, आशीष, हेमंत, सुनील सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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