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सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा कितना गुल खिलाएगी ?

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सचिन पायलट ने गर्मी में तप रहे राजस्थान की गर्मी और बढ़ा दी है. अजमेर से लेकर जयपुर तक 5 दिवसीय संघर्ष यात्रा निकाल रहे सचिन पायलट लगातार राजस्थान सरकार और अशोक गहलोत को निशाना बना रहे हैं. पायलट का दावा है कि वह राज्य में भ्रष्टाचार और नौजवानों के भविष्य को लेकर संघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन उनक असली मकसद साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है. सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा अजमेर से 11 मई को शुरू हुई थी. पांच दिनी इस यात्रा का समापन जयपुर में होना है. शुक्रवार को यात्रा का दूसरा दिन था. किशनगढ़ के एक गांव में रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को कड़ी धूप में यात्रा जयपुर की तरफ बढ़ी. राजनीतिक विश्लेषक ऐसा मानते हैं कि सचिन पायलट की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस आलाकमान को ये संदेश देना है कि वह अब चुप बैठने वाले नहीं, लेकिन सवाल ये है कि क्या पायलट का ये कदम उनके लिए करिश्मा बन पाएगा.

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कई बार बागी तेवर दिखा चुके हैं पायलट

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ऐसा पहली बार नहीं जब सचिन पायलट ने बगावती तेवर दिखाए हों, पिछले पांच साल में कई बार पायलट बगावत कर चुके हैं. 2020 में तो राज्य में उप मुख्यमंत्री रहते हुए वे विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गए थे. ऐसे आसार बन गए थे कि राजस्थान में सरकार अब गई या तब. इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी लगातार सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर निशाना साधते रहे हैं. हाल ही में गहलोत ने अपने ही विधायकों के बहाने पायलट पर निशाना साधा था कि जिन लोगों ने भाजपा से पैसे लिए हैं वे वापस कर दें. यदि कुछ पैसे खर्च भी हो गए हैं तो वह कांग्रेस से दिलवा देंगे.

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आखिर करना क्या चाहते हैं पायलट

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  1. सचिन पायलट लगातार अपनी ही सरकार का विरोध में जनसंघर्ष यात्रा निकालकर अपनी ही ताकत टटोलना चाहते हैं. इसके साथ वह आलाकमान को ये संदेश भी देना चाहते हैं कि अब वह चुपचाप बैठने वाले नहीं.
  2. पिछले पांच साल लगाताार बगावत कर रहे सचिन पायलट की ये जन यात्रा कांग्रेस आलाकमान को कार्रवाई के लिए उकसाने वाली भी हो सकती है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पायलट की इस बगावत से खफा होकर कांग्रेस उन पर कार्रवाई कर सकती है, उन्हें निष्कासित भी किया जा सकता है, लेकिन यदि ऐसा हुआ तो पायलट के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा.
  3. सचिन पायलट कांग्रेस सरकार और गहलोत पर तो हमलावर हैं, ही वह भाजपा सरकार भी लगातार आरोप लगा रहे हैं. इसका सीधा सा मतलब ये है कि सचिन पायलट यदि कांग्रेस से नाराजगी में कोई कदम उठाते भी हैं तो संभवत: राजस्थान में तीसरे मोर्चे का ही उदय होगा.
  4. सचिन पायलट के लगातार विरोध का असर कांग्रेस पर भी पड़ेगा. दरअसल पायलट कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं, ऐसे में उनका उनकी ही पार्टी के खिलाफ विरोध जनता के मन में कांग्रेस के प्रति नकारात्मकता पैदा करेगा.

आखिर क्या गुल खिलाएगी ये यात्रा

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  1. सचिन पायलट की ये यात्रा राजस्थान की राजनीति में तीसरे मोर्चे का उदय करने वाली हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि पायलट कांग्रेस का धीरे-धीरे विरोध कर अपनी ताकत टटोल रहे हैं.
  2. जन संघर्ष यात्रा की शुरुआत के लिए अजमेर को चुनना इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है. दरअसल राजस्थान में पेपर लीक बड़ा मुद्दा है, इसमें आरपीएससी का ही एक अधिकारी पकड़ा गया था और आरपीएससी का मुख्यालय अजमेर में है. इसीलिए वे युवाओं में परीक्षाओं को लेकर गुस्से को भुनाना चाहते हैं.
  3. सचिन पायलट युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं. इसीलिए भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे मुद्दों के साथ वह युवा वोटर्स पर ही टारगेट कर रहे हैं, ताकि इनकी बदौलत वह राजस्थान की जनता को प्रभावित कर सकें.

35 विधानसभा सीटों को प्रभावित करेगी ये यात्रा

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अजमेर से जयपुर के बीच की ये जन संघर्ष यात्रा तकरीबन 35 विधानसभा सीटों को प्रभावित करेगी. खास बात ये है कि इन सीटों पर गुर्जर वोटरों का प्रभाव अच्छा खासा माना जाता है. इनमें करौली, सवाई माधौपुर, भरतपुर, टोंक आदि जिले शामिल हैं. इन जिलों में के खांटी कांग्रेस नेता भी पायलट के समर्थक मांने जाते हैं. ऐसे में यदि पायलट अपनी पार्टी बनाते हैं तो उनका फोकस इन्हीं सीटों पर होगा.

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कांग्रेस ने झाड़ा पदयात्रा से पल्ला

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सचिन पायलट की इस जन संघर्ष यात्रा को कांग्रेस ने उनकी निजी यात्रा बताया है. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ तौर पर कहा है कि यह पायलट की निजी यात्रा है. यह कांग्रेस की यात्रा नहीं है. न ही पायलट ने इसके लिए कोई अनुमति ली है और न ही कोई मशविरा किया है. इससे ठीक एक माह पहले 11 अप्रैल को सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था. उस समय भी कांग्रेस ने उनके इस कदम को न निजी बताया था.

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