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फुली वैक्सीनेटेड यानी कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के 6 महीने बाद ही शरीर में एंटीबॉडी का स्तर कम होने लगता है। दोबारा संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। लिहाजा बूस्टर डोज जरूरी होता है। लेकिन इस खतरे के बावजूद लोग बूस्टर डोज यानी ऐहतियाती खुराक नहीं लगवा रहे जिसकी एक बड़ी वजह शायद ये है कि ज्यादातर राज्यों में 60 साल के कम उम्र वालों को बूस्टर के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी। लेकिन अब सरकार ने फैसला किया है कि 18 साल से 59 वर्ष के वयस्कों के लिए भी 15 जुलाई से सरकारी केंद्रों पर मुफ्त में वैक्सीन लगाई जाएगी। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला किया गया।
कैबिनेट मीटिंग में लिया गया फैसला
देश में 18 से 59 साल के आयुवर्ग के लोग सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर कोविड टीके की ऐहतियाती या तीसरी खुराक मुफ्त लगवा सकेंगे। इससे पहले न्यूज एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि 75 दिन के एक विशेष अभियान के तहत ऐसा किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 15 जुलाई से हो सकती है। हालांकि, अब कैबिनेट मीटिंग के बाद इसका औपचारिक ऐलान किया जा चुका है। भाषा के मुताबिक, ऐहतियाती खुराकों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत अभियान चलाया जाएगा।
सिर्फ 1 प्रतिशत ने ही लिया था ऐहतियाती खुराक
अभी तक 18 से 59 साल की 77 करोड़ पात्र आबादी में से एक प्रतिशत से भी कम को ऐहतियाती खुराक दी गई है। हालांकि 60 साल से अधिक उम्र के लगभग 16 करोड़ लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों एवं अग्रिम मोर्चे के कर्मियों में से करीब 26 प्रतिशत लोग बूस्टर खुराक ले चुके हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘भारत की अधिकांश आबादी ने 9 महीने पहले अपनी दूसरी खुराक लगवा ली थी। आईसीएमआर और अन्य अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि टीके की दो शुरुआती खुराक लेने के बाद करीब 6 महीने में एंटीबॉडी का स्तर कम होने लगता है और बूस्टर खुराक लेने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए सरकार 75 दिन के लिए एक विशेष अभियान चलाने की योजना बना रही है जिसमें 18 साल से 59 साल आयुवर्ग के लोगों को 15 जुलाई से सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर ऐहतियाती खुराक मुफ्त दी जाएगी।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते सभी के लिए कोविड टीके की दूसरी और ऐहतियाती खुराक के बीच अंतराल को 9 महीने से घटाकर छह महीने कर दिया था। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह की सिफारिश पर ऐसा किया गया था।