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बंगाल में सड़क पर संग्राम कर 2024 की जमीन तैयार कर रही भाजपा! नदारद हैं लेफ्ट और कांग्रेस

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बंगाल में बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा जीत हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन 77 सीटों के साथ वह मुख्य विपक्षी दल जरूर बनी थी। लेकिन उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न रहने के चलते लोकसभा चुनाव में उसकी संभावनाओं को लेकर संदेह जताया गया था। 2019 में बंगाल में 18 सीटें जीतने वाली भाजपा ने शायद इसीलिए पहले से ही बंगाल में मिशन 2024 को धार देना शुरू कर दिया है। मंगलवार को कोलकाता में सचिवालय चलो अभियान के अलावा प्रदेश भर में हजारों भाजपाई सड़कों पर उतरे और जोरदार प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि भाजपा ने ममता सरकार को घेरते हुए 2024 के लिए अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है। वहीं कभी तीन दशकों तक बंगाल पर राज करने वाले वामपंथी दल और कांग्रेस नदारद दिख रहे हैं।

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बंगाल में फिर से होगा टीएमसी बनाम भाजपा
एक तरफ ममता बनर्जी मिशन 2024 के लिए विपक्षी एकता को मजबूती देने में जुटी हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा उनके ही गढ़ में सेंध लगाने पर फोकस कर रही है। हाल ही में बिहार भाजपा के अध्यक्ष रह चुके मंगल पांडे को बंगाल भेजना भी भाजपा की खास रणनीति का हिस्सा है। बंगाल के विधानसभा चुनाव में मनमाफिक नतीजे न आने के बावजूद भाजपा ने यहां हार नहीं मानी है। वह लगातार ममता सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर रही है। खासतौर पर हाल ही में ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी जिस तरह से घोटाले के आरोपों में घिरे हैं, उसके बाद से भाजपा और ज्यादा हमलावर है। ऐसे में यहां पर मुकाबला फिर से भाजपा बनाम टीएमसी होने वाला है इसमें कोई शक नहीं है। 2014 में बंगाल में 42 लोकसभा सीटों में से दो जीतने वाली भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा 18 सीटों तक पहुंचा दिया था। इस बार वह इस आंकड़े को और बेहतर करने पर जोर देगी।

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क्या बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस रह जाएंगे कंगाल?
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में यहां पर भाजपा और टीएमसी की लड़ाई के बीच कांग्रेस और लेफ्ट खाली हाथ ही रह गई थीं। जहां टीएमसी ने 213 तो भाजपा ने 77 सीटें जीती थीं। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस बंगाल में खाता तक नहीं खोल नहीं सकी थी, जबकि टीएमसी ने मात्र एक सीट जीती थी। ऐसे में आगामी चुनावों में अगर टीमएसी और कांग्रेस कंगाल रह जाएं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। हां, अगर संयुक्त विपक्ष की कोई सूरत बनती है और कांग्रेस, ममता और लेफ्ट के साथ आने को राजी हो जाती है तब की बात और है। हालांकि फिलहाल सड़क पर संघर्ष में तो केवल भाजपा और टीएमसी ही आमने-सामने दिखाई दे रही हैं।

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