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जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी पर क्या जादू कर दिया, जादूगरी का सीक्रेट क्या है; जानें क्यों बोले CM गहलोत

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममत बनर्जी पर क्या जादू कर दिया कि टीएमसी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग नहीं करने का निर्णय ले लिया। सीएम ने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के रिश्ते बेहद तल्ख रहे थे। इसके बावजूद ममता बनर्जी ने विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद की प्रत्याशी मारग्रेट अल्वा के पक्ष में मतदान नहीं करने का निर्णय ले लिया था। सीएम गहलोत ने आज विधानसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जब मै 1973 में पहली बार एनएसयूआई का अध्यक्ष बना तभी से मेरे धनखड़ परिवार से रिश्ते रहे हैं। सीएम ने कहा कि उपराष्ट्रपति बनने पर सबसे पहले मैंने ट्वीट कर आपको बधाई दी।

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मेरी जादूगरी का ट्रेड सीक्रेट है ताऊ देवीलाल

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरी जादूगरी का ट्रेड सीक्रेट है ताऊ देवीलाल और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत। ये सीक्रेट मैं किसी बता नहीं सकता। वरना मैं गहलोत साहब की कोई बात टालता ही नहीं। । मैंने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से जादू का ज्ञान लिया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं सीपी जोशी और कैलाश मेघवाल की पीड़ा समझ सकता हूं। हर भारतीय को इस बीमारी का इलाज करना होगा। इसका निदान आसान है। मर्यादित एवं अनुशासन में रहे। मेरे स्वागत के लिए सभी का आभार। मेरे बारें में जो भी बातें कही गई है। मेरे परिवार को कोई भी सदस्य यहां नहीं है। नहीं तो मुझे स्वीकार नहीं करते हैं। अशोक गहलोत से मेरे 50 साल पुराने संबंध है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मेरे पारिवारिक संबंध है।

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जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली जनता के अनुकूल हो

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सीपी जोशी ने मुझे दो बार यहां आने का अवसर दिया। यह मेरे लिए इमोशनल क्षण है। संसदीय लोकतंत्र आज बहुत बड़ी चुनौती है। बेहद कठिन समय आ गया है। प्रजातांत्रिक मूल्यों पर क्रूर प्रहार हो रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली जनता के अनुकूल होनी चाहिए। हम आज ऐसे युग में है जहां कोई सीक्रेट नहीं है। जनता खुद बोलती है। लेकिन जनता का आकलन बड़ा भयावह है। पानी सिर से निकल रहा है। जिनकों लोकतंत्र को बचाना है वो ही लोकतंत्र के लिए चुनौती बन जाएंगे तो क्या हाल होंगे। सर्वसम्मति का दृष्टिकोण दिखाने की जरूरत है। सांसद एवं विधायक को ध्यान देना चाहिए कि वे जो कहेंगे उसके दूरगामी असर होंगे।

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