REPORT TIMES
चिड़ावा। कस्बे के डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया मार्ग स्थित डालमियों के नोहरे में रामलीला के दौरान राम ने शिव धनुष तोड़ा और सीता से नाता जोड़ा। इसी दौरान धनुष टूटने से हुई गर्जना से परशुराम का तप भंग हो गया। गुस्साए परशुराम जनक के दरबार मे आये और कहा हे जनक कहो क्या कारण है…ये इतनी भीड़भाड़ क्यों है। शिव धनुष टूटने की बात सुनते ही परशुराम क्रोधित होते है तो इधर लक्ष्मण को भी क्रोध आता है फिर दोनों में नोकझोंक होती है। राम विनम्रता से परशुराम को अवतरण का आभास कराते है। इसके बाद परशुराम का गुस्सा शांत होता है और वो प्रणाम कर महेंद्र पर्वत को चले जाते है।
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रामलीला निदेशक महेश धन्ना ने बताया कि तीसरे दिन बाणासुर-रावण संवाद, सीता स्वयंवर और अयोध्या को सदानन्द को विवाह की कुमकुम पत्री लेकर भेजने तक की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान जनक बने मदनलाल जांगिड़, राम बने पंकज वर्मा, लक्ष्मण बने अनूप भारतीय, परशुराम बने रमेश कोटवाल, रावण बने संतोष अरड़ावतिया, बाणासुर बने सुभाष धाबाई, विश्वामित्र बने महेंद्र भारतीय, सीता बने सुनील महरानिया, सखी बने रवि भारतीय, ढोलकपुर राजा बने भूपेंद्र दायमा, मंत्री बने अनिल टेलर आदि ने शानदार प्रस्तुति देकर खूब दाद बटोरी। परिषद के बैक स्टेज निदेशक किशोरकुमार नायक ने बताया कि शुक्रवार को राम-निषाद मिलन, भरत-निषाद संवाद और भरत राम मिलन की लीला मंचित की जाएगी।
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