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बेमौसम बारिश से एक लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की खराब हो गई है। किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। विभाग ने जिले की फसल खराबे का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट जयपुर मुख्यालय भिजवाई है। इसमें सबसे ज्यादा खराबा मूंग व चवला की फसल में 30 प्रतिशत तक हुआ है। तीन दिन तक रुक-रुक कर आई बारिश ने बाजरे के 66 हजार से ज्यादा क्षेत्र की फसल को नुकसान पहुंचाया है। बाजरे की फसल मेें 20 प्रतिशत खराबा सामने आया है। बारिश से खरीफ की अगेती व पछेती फसल खराब हो गई। किसान पितराम, मुंशी खान, परमेश्वर, अनिल ने बताया कि बारिश से सीटों में बाजरा अंकुरित हो गया व दाना काला पड़ गया। यही स्थिति चंवला, मूंग की है। खेतड़ी उपखण्ड के बीलवा, बांकोटी, बड़ाऊ, रसूलपुर, नंगलीसलेदीसिंह में मूंगफली अधिकांश खेतो में बोई गई थी। लगातार बारिश से मूंगफली की फसल एकदम नष्ट हो गई। मूंगफली की कटाई कर खेतों में रखी हुई थी। अचानक लगी वर्षा झड़ी में मूंगफली का चारा गल गया तथा मूंगफली भी काली पड़ गई। इसमें किसान को एक बीघा मूंगफली बिजाई में बीज, खाद व बिजाई, निराई-गुड़ाई सहित लगभग 55 सौ रुपए खर्चा आता है। उन्होंने फसल बीमा भी करवा रखा है। लेकिन फसल खराबे की गिरदावरी करने के लिए कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं पहुंचा।
अलसीसर, चिड़ावा बेमौसम बरसात से बाजरा और मूंग की फसल में ज्यादा खराबा हुआ। श्योपुरा के किसान राजेश सिंह ने बताया कि इस साल 14 बीघा में बाजरा और चार बीघा में कपास उगाया था। किसान ने बाजरे की फसल की लावणी भी कर ली थी। बरसात के समय बाजरे के सिट्टे खेत में पड़े थे। दो-तीन दिन के खराब मौसम से सिट्टे खराब हो गए। किसान ने बताया कि बाजरे के सिट्टे अंकुरित भी हो गए। वहीं कड़बी काली पड़ चुकी है। कृषि विभाग के उपनिदेशक राजेन्द्र लाम्बा ने बताया कि जिले में फसल खराबे का सर्वे कर लिया गया है। एक लाख 14 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में बाजरा, मूंग, चंवला, मूंगफली, कपास की फसलों को नुकसान हुआ है। रिपोर्ट कृषि मुख्यालय भिजवा दी है। उधर जिला प्रशासन की ओर से गिरदावरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी। उल्लेखनीय है कि जिले में तीन लाख 79 हजार 880 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की बुवाई हुई थी।