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भारत के मिसाइल परीक्षण से पहले ड्रैगन की नई चाल, समुद्र में भेजा अपना जासूसी जहाज

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भारत की ओर से मिसाइल परीक्षण से कुछ दिन पहले चीन ने हिंद महासागर में अपना एक जासूसी जहाज भेजा है। करीब तीन महाने पहले चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर ऐसा ही एक जहाज भेजा था जिसे लेकर भारत ने पड़ोसी देश से अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। अब चीन ने एक बार फिर उसी तरह की हरकत दोहरा दी है। चीन के यह जासूसी जहाज एक ही श्रेणी के हैं और इन्हें मिसाइल परीक्षणों, सैटेलाइट्स की आवाजाही की निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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एनडीटीवी डॉट कॉम ने मरीन ट्रैफिक के हवाले से कहा है कि चीन का यह जासूसी जहाज युआन वांग VI (Yuan Wang VI) फिलहाल हिंद महासागर को पार कर गया है और यह इस समय बाली के तट के करीब है। Yuan Wang VI ऐसे समय में बाली पहुंचा है जब भारत एक मिसाइल का परीक्षण करने के लिए नोटिस जारी किया है। हालांकि, मिसाइल परीक्षण के लिए किसी सटीक तारीख की जानकारी नहीं दी गई है।

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10-11 नवंबर को हो सकता है परीक्षण

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वेबसाइट ने शीर्ष ओपन सोर्स इंटेलीजेंस एक्‍सपर्ट डेमियन सिमोन के हवाले से कहा कि मिसाइल परीक्षण के लिए जारी किए गए नोटिस से संकेत मिलता है कि भारत 10-11 नवंबर के बीच ओडिशा के तट पर स्थिति अब्दुल कलाम द्वीप से एक मिसाइल दाग दाग सकता है। यह मिसाइल 2200 किलोमीटर की सीमा तक उड़ान भर सकती है।

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मिसाइल से जुड़ी जानकारी चुरा सकता है चीन?

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मिसाइल परीक्षण को देखते हुए पश्चिम में श्रीलंका और पूर्व में इंडोनेशिया के बीच के कुछ समुद्री क्षेत्र को ब्लॉक कर दिया गया है जिसके ऊपर से मिसाइल के ऑपरेट होने की संभावना है। चीन की इस हरकतों ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। भारत को लगता है कि चीन अब उस मिसाइल को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है जिसका वह परीक्षण कर सकता है। चीन अपने इस जासूसी जहाज के जरिए मिसाइस से संबंधित उसकी गति, सीमा और सटीकता की जानकारी हासिल करने का प्रयास कर सकता है।

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हंबनटोटा बंदरगाह भारत के लिए भी चिंता का विषय

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इस साल अगस्त में चीन का इसी तरह के एक जहाज युआन वांग V दक्षिण चीन सागर में लौटने से पहले श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा में डॉक किया गया था। तब भारत ने चीन की इस हरकतों का विरोध किया था और पड़ोसी मुल्क श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाजों को अपने बंदरगाह पर रुकने की अनुमति नहीं देने को कहा था। भारत की नजर हंबनटोटा बंदरगाह पर इसलिए रहती है क्योंकि श्रीलंका ऋणों को चुकाने में असमर्थ होने के बाद इसे 99 साल के लिए चीन को लीज पर दे दिया है।

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