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राजस्थान में फिर गहलोत बनाम पायलट! क्या जवाब दे रहा सचिन का सब्र?

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राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई एक बार फिर सड़क पर आती दिख रही है. सूत्रों के मुताबिक, सचिन पायलट ने आलाकमान को दो-टूक बता दिया है कि, अगर अशोक गहलोत सरकार का आखिरी बजट भी पेश कर देंगे तो फिर नेतृत्व परिवर्तन के मायने ही खत्म हो जाएंगे. ऐसे में राजस्थान से गुजर चुकी भारत जोड़ो यात्रा के जम्मू -कश्मीर पहुंचने से पहले इस संकट का हल राहुल गांधी को खोजना होगा.

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इसी बीच 11 जनवरी को राहुल के साथ पदयात्रा के बाद सचिन पायलट ने नागौर से 16 जनवरी से जयपुर तक, 20 जनवरी के बीच अलग-अलग किसान सम्मेलन और आमसभा आयोजित करने का ऐलान कर दिया. वहीं दूसरी तरफ अशोक गहलोत 23 जनवरी से बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, उसके ठीक पहले सचिन का किसान सम्मेलन करना और बजट सत्र के ठीक पहले जयपुर में उसका समापन बड़े संकेत दे रहा है.

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जवाब दे रहा सचिन पायलट का सब्र?

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ऐसा लग रहा है कि सचिन पायलट का सब्र अब जवाब दे रहा है. यानी किसान सम्मेलन तो बहाना है, इसके जरिये सचिन का मकसद आलाकमान पर दबाव बढ़ाना है. साथ ही इन सम्मेलनों में अपने लिए समर्थन दिखाकर ही सचिन दबाव नहीं बनायेगे, बल्कि यात्रा के बाद किसानों के मुद्दों को बजट में शामिल करने की मांग करके गहलोत को बजट से पहले मुश्किल में डालने की तैयारी भी कर रहे हैं.

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सचिन के करीबी सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने खूब सब्र रखा, आलाकमान को सब बता दिया,अब उनकी बारी है गहलोत से सियासी दो दो हाथ करने की.वहीं सचिन के अल्टीमेटम से कांग्रेस आलाकमान भी वाकिफ है, इसीलिए पार्टी स्वीकार कर रही है कि पार्टी अध्यक्ष खरगे और प्रभारी सुखजिंदर रंधावा राजस्थान के मसले को जल्दी ही सुलझा लेंगे.

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गहलोत-पायलट में फिर तनातनी!

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इस मामले पर कांग्रेस नेता और मीडिया प्रभारी महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि जल्दी ही वहां के मामले को सुलझा लिया जाएगा, कोशिशें जारी हैं, जो भी फैसला होगा वो संगठन के हित में होगा, व्यक्ति के हित में नहीं, खुद राहुल कह चुके हैं कि दोनों नेता हमारे लिए एसेट हैं.बता दें कि, 25 जुलाई को जयपुर में विधायक दल की बैठक के विवाद के बाद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि, 2-3 दिन में राजस्थान में नेतृत्व बदलाव पर फैसला होगा.सूत्रों के मुताबिक, उस वक़्त आलाकमान ने सचिन को राज्य की कमान देने और गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का मन बनाया था. फिर जो सियासी ड्रामा हुआ वो सबके सामने है. लेकिन महीनों बीत गए और फैसला अटका हुआ है .कांग्रेस खुद खुलकर स्वीकार भी कर रही है कि मसला है और नेतृत्व पर फैसला जल्दी होगा.

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