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मध्य प्रदेश के मुरैना में हादसे का शिकार हुए एक लड़ाकू विमान मिराज 2000 का मलबा भरतपुर के उच्चैन में गिरा है. चूंकि दोनों घटना स्थलों की दूरी 50 किमी के आसपास है. ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि यह दोनों हादसे अलग अलग हैं, लेकिन अब मुरैना के एसपी ने साफ कर दिया है कि मुरैना हादसे में ही एक विमान मिराज 2000 का मलबा भरतपुर के उच्चैन में गिरा है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि हादसे के बाद मिराज ने कैसे 50 किमी से अधिक की दूरी तय कर ली.
गौरतलब है कि ग्वालियर स्थित एयरबेस से प्रशिक्षण के लिए दोनों विमानों ने उड़ान भरी थी. एक विमान सुखाई 30 था, जबकि दूसरा मिराज 2000. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एक विमान में केवल एक ही पायलट था, जबकि दूसरे विमान में कोपायलट भी मौजूद था. अधिकारियों के मुताबिक हादसा होते ही मिराज 2000 को उड़ा रहे दोनों पायलट पैराशूट से कूद गए और इनका विमान लहराते हुए आसमान में आग का गोला बन गया और पूरी गति से उड़ते हुए भरतपुर के उच्चैन पहुंच गया. जबकि सुखोई 30 विमान के पायलट ने आखिर तक उसे नियंत्रित करने का प्रयास किया और हादसे का शिकार हो गया.
निजी चॉपर की हो रही थी चर्चा
भरतपुर के उच्चैन में विमान हादसे की सूचना पर पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने शुरू में दावा किया था कि यह कोई निजी चापर है. लेकिन थोड़ी देर बाद मौके पर पहुंचे सेना के अधिकारियों ने जांच के बाद साफ कर दिया कि यह कोई निजी चॉपर नहीं बल्कि सेना का लड़ाकू विमान मिराज 2000 है. इतने में ग्वालियर बेस से भी विमान हादसे की सूचना आ गई. इसमें पता चला कि दो विमानों के बीच मुरैना में टक्कर हुआ है. इन्हीं दो में से एक विमान भरतपुर में गिरा है.
मलबा इतनी दूरी तक आने पर आश्चर्य
सेना के अधिकारियों को हादसे के बाद इतनी दूर विमान का मलबा गिरने पर आश्चर्य हो रहा है. यह आश्चर्य इसलिए भी हो रहा है कि दूसरे विमान का मलबा हादसे वाले स्थान पर ही गिरा मिला है. अधिकारियों के मुताबिक हादसे के बाद आग का गोला बना मिराज 2000 जब भरतपुर की ओर चला था, तो इसने बीच रास्ते में कई गांव और आबादी वाले इलाके के ऊपर से होकर निकला. यह संयोग ही अच्छा था कि मलबा किसी आबादी वाले इलाके के ऊपर नहीं गिरा है.