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राजस्थान के बाड़मेर जिले से 40 किलोमीटर दूर तारातरा में धर्मपुरी महाराज के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा और भंडारे का कार्यक्रम चल रहा है जिसकी चर्चा अब देश भर में हो रही है. जानकारी के मुताबिक इस आयोजन में पांच दिनों में राजस्थान सहित देशभर से 5 लाख भक्त आने का अंदेशा लगाया गया है और अभी तक दो दिनों में करीब डेढ़ लाख लोग यहां पहुंच चुके हैं. वहीं यहां आने वाले लोगों के रहने और खाने के लिए भव्य इंतजाम किए गए हैं. बताया जा रहा है कि इस पांच दिवसीय संत समागम और प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं के लिए 2 किलोमीटर फैले इलाके में पांडाल लगाए गए हैं. वहीं आयोजन में हर दिन 70-75 हजार भक्तों के लिए करीब 250 कारीगर और मशीनों की मदद से खाना बन रहा है जहां हर घंटे में 10 हजार रोटियां बनाई जा रही है. जानकारी मिली है कि आयोजन में हर दिन 3 लाख रोटियां बन रही है. दरअसल, पनोणियों का तला स्थित धर्मपुरी महाराज के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, महंत जगरामपुरी महाराज के जीवित भंडारे के साथ ही विराट संत सम्मेलन का आगाज बीते सोमवार को हुआ था जिसके बाद अगले 5 दिनों तक यही मजमा लगा रहेगा. वहीं 2 फरवरी गुरुवार को स्वामी रामदेव, जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज कार्यक्रम में आएंगे.
10 हजार भक्तों के लगे प्रसादी पांडाल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे महोत्सव के प्रभारी विक्रमसिंह तारातरा का कहना है कि पांच दिनों तक चलने वाले इस मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में करीब 2500 लोगों की अलग-अलग टीमें लगी हुई हैं. वहीं इसके लिए कंट्रोल रूम से लेकर भोजन व्यवस्था, टेंट, भोजन, जल व्यवस्था, संत आवास व्यवस्था सहित अन्य कई व्यवस्थाओं के लिए लोग लगे हुए हैं. इसके अलावा महोत्सव में भक्तों के भोजन के लिए 7 पांडाल लगाए गए हैं जहां नागा बाबा और साधु-संतों और महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग पांडाल की व्यवस्था की हुई है. बता दें कि इन सभी पांडालों में एक साथ करीब 10 हजार लोग भोजन कर सकते हैं जिनके लिए करीब 250 कारीगर खाना बना रहे हैं.
हर घंटे में बन रही 10 हजार रोटियां
वहीं भंडारे में रोटियां बनाने के लिए बाहर से कई मशीनें मंगवाई गई है जिन पर हर घंटे में 10 हजार रोटियां बनाई जा रही है. बताया जा रहा है कि यहां 70-75 हजार लोगों के लिए हर दिन करीब 3 लाख रोटियां बन रही है. वहीं सब्जी और अन्य चीजें बनाने के लिए अलग से कारीगर लगाए गए हैं. बता दें कि धर्मपुरी महाराज का यह मंदिर समाज में सामाजिक समरसता की एक अलग मिसाल पेश करता है जहां किसी भी जाति और वर्ग का भेदभाव नहीं किया जाता है. जानकारी के मुताबिक मंदिर में सभी जाति व समाज की महिलाएं और पुरूष एक साथ एक ही जाजम बैठकर प्रसाद खाते हैं.