REPORT TIMES
जयपुर: राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में बीजेपी और कांग्रेस का दबदबा रहा है जहां 1980 से पहले कांग्रेस राजस्थान की कुर्सी पर काबिज थी तो इसके बाद बीजेपी-कांग्रेस का आवागमन चलता रहा लेकिन तीसरा मोर्चा कभी भी यहां सत्ता के शीर्ष तक नहीं पहुंच पाया. अब जब सूबा चुनावों के मुहाने पर खड़ा है तो एक बार फिर तीसरा मोर्चा यानि थर्ड फ्रंट की चर्चा जोर पकड़ रही है जहां कई दलों की एकजुटता की चर्चाओं के बाद एक फ्रंट बनने को लेकर हलचल है. 2023 के आखिर में होने वाले चुनावों के लिए बीजेपी-कांग्रेस के अलावा कई दलों ने चुनावी हुंकार भर दी है. दरअसल राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, बसपा, आरएलपी, बीटीपी और सपा जैसी पार्टियों का नाम मुख्य तौर पर चल रहा है जहां राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर बीते दिनों राज्य में तीसरे मोर्चे का जिक्र छेड़ दिया. बेनीवाल ने सचिन पायलट की कांग्रेस से चल रही उठापटक के बीच कहा कि उन्हें अब अलग पार्टी बना लेनी चाहिए जिसके बाद हम उनसे गठबंधन करेंगे. वहीं इससे पहले बेनीवाल की दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान से मुलाकात की तस्वीरें सामने आई थी. हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी की ओर से गठबंधन के बारे में नहीं कहा गया है लेकिन आरएलपी, आप और बीटीपी मिल जाएं और सचिन पायलट अपनी राजनीतिक दिशा अलग से तय करेंगे तो यह चारों मिलकर एक मोर्चा बना सकते हैं. ऐसी सूरत में फिर एआईएमआईएम और बसपा कांग्रेस की तरफ रूझान कर सकती है.
RLP और आम आदमी पार्टी की नजदीकियां
हाल में बेनीवाल और केजरीवाल की मुलाकात काफी सुर्खियों में रही थी जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे कि दोनों चुनावों में साथ आ रहे हैं. दरअसल बेनीवाल की पार्टी जीरो से बढ़कर 2018 के विधानसभा और हाल में हुए उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के साथ ही 3 विधायकों तक पहुंच गई है और बेनीवाल खुद लोकसभा सांसद हैं. पिछले दिनों हुए सरदारशहर और वल्लभनगर उपचुनाव में तो आरएलपी दूसरे स्थान पर रही थी.बता दें कि आरएलपी का वोटबैंक जाट समुदाय में है और 20 से 25 सीटों पर बेनीवाल असर डालते हैं. ऐसे बेनीवाल अगर आप के साथ जाते हैं जिसकी पंजाब और दिल्ली दो राज्यों में सरकार है और केजरीवाल जैसा नेशनल फेस भी है. वहीं केजरीवाल चुनावों में मुद्दों पर उतरते हैं और लगातार बेनीवाल की तरह वसुंधरा और गहलोत गठजोड़ की बात दोहराते हैं. इधर आप चुनावों में 10 से 15 सीटों पर फोकस करके आगे बढ़ रही है.
बीएसपी और AIMIM के अलावा मैदान में BTP
वहीं हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में बीएसपी चुनाव लड़ेगी जहां पिछली बार बीएसपी के 6 विधायक जीतकर आए थे जो बाद में कांग्रेस में चले गए. इसके साथ ही 2023 में असदुद्दीन औवेसी की एएमआईएमआईएम भी चुनावी मैदान में उतर रही है जहां औवेसी की पार्टी की ओर से कहा गया है कि वह 40 से ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रहे हैं.बीएसपी और ओवैसी की पार्टी को लेकर माना जा रहा है कि यह दोनों साथ चुनाव लड़ सकती है लेकिन इनके बीच गठबंधन होने के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं. इसके अलावा आदिवासी इलाके में बीटीपी ने 2018 में 2 सीटें जीती थी जो फिलहाल कांग्रेस से नारज चल रही है ऐसे में दक्षिणी राजस्थान में प्रभाव दिखाने के लिए बीटीपी किसी दल से हाथ मिला सकती है.