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चुनावी साल में अशोक गहलोत मनाएंगे मेवाड़ में बर्थडे, आदिवासी इलाकों में जाने के क्या मायने?

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जयपुर: राजस्थान की राजनीति में जादूगर कहे जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आज 72वां जन्मदिन है जहां सीएम सूबे के मेवाड़ इलाके में आदिवासियों के बीच अपना जन्मदिन मनाएंगे. हालांकि गहलोत सालों से ही सादगीपूर्ण तरीके से जन्मदिन मनाते रहे हैं. गहलोत फिलहाल पिछले 2 दिनों से कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं जहां वह स्टार प्रचारक बनाकर भेजे गए हैं. वहीं गहलोत के कार्यालय की ओर से जारी उनके कार्यक्रम के मुताबिक उन्होंने अपना जन्मदिन भी महंगाई राहत कैंप के नाम कर दिया है जहां वह उदयपुर के कई ग्रामीण इलाकों में कैंप का अवलोकन करेंगे. बता दें कि गहलोत के बुधवार को प्रायोजित मेवाड़ दौरे पर वह कई गांवों का दौरा करने वाले हैं जिसके लिए जिला प्रशासन की टीम ने सभी तैयारियां कर ली है. उदयपुर जिला कलेक्टर के मुताबिक सीएम गहलोत बुधवार दोपहर 3.10 बजे उदयपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे जिसके बाद 3.30 बजे वह जिले में कोटड़ा के घाटा गांव पहुंचकर महंगाई राहत कैंप का अवलोकन करेंगे.

महंगाई राहत कैंप में बिताएंगे दिन

गहलोत के कार्यक्रम के मुताबिक वह शाम को उदयपुर के झाड़ोल में महंगाई राहत कैंप का जायजा लेंगे. इसके बाद वह नगर निगम के सुखाड़िया रंगमंच में लगे कैंप का भी अवलोकन करेंगे. वहीं सीएम के दौरे को लेकर उदयपुर में सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मालूम हो कि सीएम 24 अप्रैल से लगातार राजस्थान के अलग-अलग जिलों के दौरे कर रहे हैं जहां वह खुद जाकर कैंप की व्यवस्थाओं को देख रहे हैं.राजस्थान में चुनावों में कुछ महीने बचे हैं ऐसे में गहलोत ने अपना जन्मदिन किसी भव्य तरीके से नहीं मनाकर महंगाई राहत कैंप के नाम ही कर दिया है. वहीं आने वाले दिनों में भी गहलोत के कई जिलों में दौरे हैं जहां बताया जा रहा है कि वह कैंप के जरिए पूरी 200 विधानसभाओं तक पहुंचना चाहते हैं.

चुनावी साल और मेवाड़ दौरा

इसके साथ ही गहलोत ने जन्मदिन के लिए मेवाड़ को चुना है जहां वह अलग-अलग गांवों में जाकर सीधा जनता से संवाद करेंगे. दरअसल 28 विधानसभा सीटों को समेटे मेवाड़ बेल्ट चुनावी लिहाज से काफी अहम है और सत्ता का गणित यहां की सीटों से बदलता है. वहीं कांग्रेस मेवाड़ और वागड़ इलाके में 2023 के लिए अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है जहां बीजेपी के अलावा बीटीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टी भी सामने खड़ी है.अक्सर सूबे की राजनीति में कहा भी जाता है कि राजस्थान में सत्ता का रास्ता मेवाड़ से होकर ही निकलता है. हालांकि 2018 में बीजेपी की उन इलाकों में जीत के बाद भी सरकार नहीं बन पाई थी. वहीं इस बार बीजेपी के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया भी मेवाड़ से नदारद हैं ऐसे में कई समीकरण बदलने की संभावना है.

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