Report Times
latestOtherजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

CM अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिर छिड़ा युद्ध, आखिर क्यों अंतहीन चुप्पी साधकर बैठा आलाकमान?

REPORT TIMES 

Advertisement

जयपुर: राजस्थान की सियासत में मंगलवार का दिन सचिन पायलट के नाम रहा जहां सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम ने मुखिया अशोक गहलोत पर कई तीखे हमले किए. पायलट ने गहलोत की नेता वसुंधरा राजे को बताया और पैसों की राजनीति करने का आरोप भी लगाया. वहीं पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ पेपर लीक और भ्रष्टाचार को लेकर जन संघर्ष यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया जिसकी शुरूआत 11 मई से होगी. वहीं इससे पहले सीएम गहलोत ने भी पायलट के विधायकों पर बीजेपी से पैसे में बिकने का आरोप लगाया था और पैसे वापस करने की सलाह भी दी थी. गहलोत-पायलट की इस जुबानी जंग में आलाकमान की भूमिका पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं जहां लगातार दिल्ली की ओर से राजस्थान के हालातों पर चुप्पी साध रखी है.

Advertisement

बता दें कि गहलोत के करीब 3 साल बाद मानेसर कांड को फिर से याद करने और पायलट के वसुंधरा राजे को गहलोत की नेता बताने के बाद भी आलाकमान ने पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है. जानकारों का यह कहना है कि राजस्थान में वर्तमान में सियासत जिस मझधार में फंसी हुई है उसके पीछे आलाकमान का ढ़ीला रवैया ही है. पायलट ने भी मंगलवार को कहा कि 2020 में समझौते के बाद हम मानेसर से लौटे थे, हालांकि पायलट ने समझौते के बारे में खुलासा नहीं किया.

Advertisement

Advertisement

कर्नाटक चुनावों के बाद टूटेगी चुप्पी!

Advertisement

दरअसल कर्नाटक में बुधवार को वोटिंग चल रही है जहां पिछले कई दिनों से कांग्रेस के शीर्ष नेता लगे हुए हैं. हालांकि सचिन पायलट ने अपनी पदयात्रा का ऐलान वोटिंग से एक दिन पहले किया लेकिन बताया जा रहा है कि कर्नाटक चुनावों को देखते हुए ही आलाकमान स्तर से इस घटनाक्रम पर अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है. मालूम हो कि कांग्रेस कर्नाटक में सही स्थिति में बताई जा रही है ऐसे में राजस्थान की उठापटक का कांग्रेस वहां असर नहीं देखना चाहती है.

Advertisement

वहीं मंगलवार को ही दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व की ओर से बुधवार को मामले पर चुप्पी तोड़ी जा सकती है. माना जा रहा है कि पायलट के अनशन की तरह की आलाकमान स्तर से पायलट की यात्रा पर भी दिल्ली से शीर्ष नेतृत्व अपना रुख साफ कर सकता है.

Advertisement

अनशन पर दिखी थी आलाकमान की फुर्ती

Advertisement

गौरतलब है कि बीते महीने 11 अप्रैल को पायलट की ओर से वसुंधरा सरकार के दौरना हुए करप्शन के मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं होने को लेकर अनशन किया गया था. पायलट ने अनशन का ऐलान करते ही आलाकमान की ओर से प्रभारी ने बयान जारी कर इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताया था. हालांकि पायलट लगातार कहते रहे कि उनका अनशन सरकार के खिलाफ नहीं है.वहीं पायलट की ओर से ताजा रुख देखकर अब लग रहा है कि उनकी सीएम की मांग उन्होंने ठंडे बस्ते में डाल दी है और अब वह सीधे फाइट मोड में है जहां वह अपने विधायकों की लड़ाई लड़ रहे हैं क्योंकि करीब 6 महीने बाद चुनावी घमासान होना है और अपने लोगों के लिए टिकटों को लेकर भी खींचतान होनी है.

Advertisement
Advertisement

Related posts

पूर्व पार्षदों ने की नगरपालिका के निरस्त टेंडर्स फिर से जारी करने की मांग

Report Times

सीएम पद की खींचतान के बीच सचिन पायलट कल से करेंगे प्रदेश के दौरे की शुरुआत

Report Times

चिड़ावा : जन कल्याण सेवा संस्थान ने किया पौधारोपण

Report Times

Leave a Comment