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‘5 दिन, 125 किलोमीटर और 35 सीटें’, सचिन पायलट की पदयात्रा से चढ़ा सूबे का सियासी पारा

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अजमेर: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अजमेर से अपनी 5 दिवसीय जन संघर्ष यात्रा का आगाज कर दिया है जहां पायलट ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने इरादे एक बार फिर साफ कर दिए हैं. पायलट ने यात्रा की शुरूआत करते समय एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हमनें करप्शन के मामले उठाए थे लेकिन कांग्रेस सत्ता में आने के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं पायलट ने कहा कि मेरी यह यात्रा किसी के खिलाफ ना होकर युवाओं के भविष्य के लिए है. मालूम हो कि इससे पहले पायलट ने 11 अप्रैल को अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन भी किया था. इधर पायलट की पदयात्रा में उनके समर्थकों का हुजूम उमड़ा है जहां पायलट अपने समर्थकों के साथ 43 डिग्री तापमान में सड़क पर पैदल जयपुर की तरफ बढ़ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पहले दिन पायलट 20-25 किलोमीटर की यात्रा करेंगे. वहीं पायलट की सुरक्षा में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सीआरपीएफ जवानों की अतिरिक्त तैनाती भी की गई है. वहीं अब पायलट की 5 दिनों की इस यात्रा को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि पायलट पदयात्रा के बहाने युवाओं के साथ ही करीब 35 विधानसभा सीटों पर जनता को सीधा संदेश दे सकते हैं. इसके अलावा यह भी चर्चा है कि पायलट आगामी चुनावों के लिए अपनी नई जमीन तलाश कर रहे हैं जिसके लिए उन्होंने एक बार फिर अजमेर को चुना है. माना जा रहा है कि पायलट टोंक से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बदल सकते हैं.

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35 सीटों पर चोट मारेंगे पायलट!

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मालूम हो कि पायलट को लेकर गुर्जर समुदाय में एक अलग उत्साह रहता है और 2018 में इसका नजारा देखने को भी मिला था. प्रदेश में सीटों की बात करें तो करीब 12 जिलों में 35 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाता खासी संख्या रखते हैं जिनमें पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर के साथ ही जयपुर, टोंक, दौसा, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, अजमेर और झुंझुनूं शामिल है. वहीं अजमेर से पायलट पहले भी जीतकर लोकसभा पहुंच चुके हैं.वहीं यात्रा निकलने वाले जिले की बात करें तो अजमेर की विधानसभा सीटों पर भी पायलट डेंट लगा सकते हैं जहां नसीराबाद, मसूदा, पुष्कर, ब्यावर, केकड़ी और किशनगढ़ में कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ सकता है. वहीं यात्रा में नसीराबाद और मसूदा जैसे गुर्जर बाहुल्य इलाकों की भीड़ देखकर माना जा रहा है कि यहां भी यात्रा का असर देखने को मिलेगा.

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टोंक से मन बदल सकते हैं पायलट!

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वहीं पायलट के पदयात्रा के लिए अजमेर को चुनने के पीछे भी कई तरह की चर्चाएं चल रही है. हालांकि पायलट ने कहा है कि पेपर लीक एक बड़ा मुद्दा है और पेपर जहां से बनते हैं वहीं से यात्रा कर वह संदेश देना चाहते हैं. इसके अलावा पायलट के यात्रा के बहाने नई विधानसभा सीट तलाशने को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं. अभी अजमेर में 8 विधानसभा सीटें हैं जिनमें अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, पुष्कर, मसूदा, ब्यावर, नसीराबाद, केकड़ी और किशनगढ शामिल है. वहीं 2018 के चुनावों की बात करें तो यहां 5 सीटों पर बीजेपी, 2 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय ने कब्जा किया था.हालांकि नसीराबाद और मसूदा गुर्जर बाहुल सीट होने से पायलट के नाम की चर्चा यहां के लिए ज्यादा हो रही है. मालूम हो कि पिछली बार पायलट ने जहां से चुनाव लड़ा था वह टोंक सीट मुस्लिम बाहुल्य है और इस बार वहां से एआईएमआईएम पार्टी भी चुनावी मैदान में उतर रही है, ऐसे में वहां मुस्लिम वोट खिसक सकता है.

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