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चिड़ावा। जब कृष्ण और रुक्मणि ने एक दूसरे को माला पहनाई तो मंगल गीत गूंजने लगे और सुंदर गीतों की स्वर लहरियों पर महिलाएं और बच्चे झूम उठे। महिलाओं ने जमकर नृत्य कर भगवान को रिझाया और भगवान के विवाह की खुशियां मनाई। मौका था चिड़ावा में कॉलेज रोड के पास पोद्दार पार्क स्थित सनातन आश्रम में चल रही श्री मद्भागवत कथा का। जिसमें कथा व्यास वाणिभूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने रुक्मणि मंगल विवाह प्रसंग की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने बताया की श्री स्वरूपा लक्ष्मी जी और हरि स्वरूप विष्णु भगवान एक दूसरे के पूरक हैं।
वे ही धरती पर कृष्ण और रुक्मणि के रूप में अवतरित हुए और उनका विवाह सृष्टि के कार्यों की निर्विघ्न पूर्ति के लिए हुआ। भगवान के प्रत्येक अवतार में लक्ष्मीजी भी अवतरित होती हैं। उनके बिना भगवान के कार्य अधूरे रह जाते हैं। कथा के दौरान श्रीकृष्ण – रुक्मणि विवाह की झांकी सजाई गई। यजमान कस्तूरचंद गुप्ता, सुलोचना गुप्ता ने पूजन किया और तिलक निकालकर भगवान के वाराफेरी भी की। सुलोचना गुप्ता ने मंगल भजन गाकर भी श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान जगदीश फतेहपुरिया, जगदीश सोनी, पवन शर्मा, सुभाष पांडे, पवन पांडे, कमलकांत पुजारी, गिरधर गोपाल महमिया, सुशील फतेहपुरिया, राजेश सोनी, ओमप्रकाश चौधरी, राधेश्याम सेखसरिया, फूलचंद भगेरिया, पवन शर्मा ढाणी वाला,सुरेश शर्मा, राजीव व्यास, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष मौजूद रहे।
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