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चिड़ावा। मित्रता निभाना बड़ा कठिन कार्य है। मित्रता में ईमानदारी और समर्पण का भाव बेहद जरूरी है। ये प्रवचन कथा वाचक दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से विभूषित वाणिभूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने यहां कॉलेज रोड के समीप पोद्दार पार्क स्थित सनातन आश्रम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के 14 वें दिन कृष्ण-सुदामा प्रसंग की व्याख्या करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि मित्रता की सच्ची परीक्षा विपत्तिकाल में ही होती है। अधिकतर मित्र उस समय छोड़कर चले जाते हैं। लेकिन वे ही मित्र सच्चे मित्र होते हैं जो विपत्तिकाल में भी साथ खड़े नजर आते हैं। श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता भी कुछ ऐसी ही थी। कृष्ण भगवान ने चावल के बदले अपने मित्र के कष्टों को हर लिया। ऐसी मित्रता संसार के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।

कथा के दौरान श्री कृष्ण-सुदामा की सजीव झांकी सजाई गई। कथा के प प्रारम्भ में यजमान लुधियाना प्रवासी कस्तूरचंद गुप्ता(फतेहपुरिया)सुलोचना देवी व अरुण गुप्ता -संगीता देवी ने आचार्य नरेश जोशी, सियाराम शास्त्री, विक्रम शर्मा व दयाराम शर्मा के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भागवत व्यास पूजन किया। कथा के दौरान सुमधुर संगीत ने वातावरण को भक्ति के रस में सरोबार कर दिया। आयोजन में श्रीकांत अग्रवाल, अजय कुमार, महाबीर प्रसाद जोशी, लुधियाना, लक्ष्मण गुप्ता भिवानी, सतीश गुप्ता जयपुर, जगदीश फतेहपुरिया, जगदीश सोनी, पवन शर्मा, सुभाष पांडे, पवन पांडे, उमाशंकर जोशी, शम्भू दयाल पुजारी, प्रदीप पुजारी, रामनिवास वर्मा, गिरधर गोपाल महमिया, सुशील फतेहपुरिया, राजेश सोनी, ओमप्रकाश चौधरी, पवन शर्मा ढाणी वाला,सुरेश शर्मा, राजीव-संजीव व्यास, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष मौजूद रहे।
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