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जयपुर: इस साल के अंत में राजस्थान समेत चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं. चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में कांग्रेस अभी से जुट गई है. इन चुनावों की तैयारियों की आड़ में कांग्रेस राजस्थान में गहलोत vs पायलट के झगड़े को सुलझाने की कोशिश में थी, लेकिन बैक चैनल्स टॉक तय वक्त में कारगर साबित नहीं हुए. राजस्थान के चक्कर में चारों राज्यों की बैठकों को अगली तारीख तक के लिए टाल दिया गया है. हवाला दिया गया कि पहले कर्नाटक के मंत्रिमंडल को अंतिम रूप दिया जा रहा है.दरअसल, अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट का झगड़ा बे वक्त से सड़कों पर कांग्रेस की किरकिरी कराता रहा है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इसका पटाक्षेप चाहते हैं. उनकी पहली कोशिश यही है कि, गहलोत और सचिन के बीच समझौते का रास्ता निकाला जाए.
खरगे नहीं चाहते सचिन पार्टी से जाएं बाहर
सूत्रों के मुताबिक, पहला ये है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नहीं चाहते कि अब सीएम गहलोत बदले जाएं. दूसरा ये कि खरगे ये भी नहीं चाहते कि सचिन पार्टी से बाहर जाएं. इसी के बाद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी सुखजिंदर रन्धावा को निर्देश दे दिए गए. सूत्रों के मुताबिक, इसी कड़ी में कमलनाथ और एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी मिली है.
टाल दी गईं बैठकें
वहीं, सूत्रों के मुताबिक, इस कड़ी में रणनीतिकारों को पहली सफलता तब मिली जब सचिन चुनावों से पहले गहलोत के सीएम बने रहने पर रजामंद हो गए. इसी लिहाज से पहले 24-25 मई को चार राज्यों के लिए चार बैठकें तय की गईं. लेकिन तब तक फॉर्मूले पर अंतिम सहमति नहीं बनी तो बैठकें 26-27 मई के लिए टाल दी गईं. आखिर में जब बात फिर नहीं बनी तो बैठकों को अगली तारीख के लिए टाल दिया गया. लेकिन फजीहत न हो इसलिए चारों राज्यों की बैठकों को कर्नाटक मंत्रिमंडल बनाए जाने के नाम पर आगे बढ़ा दिया गया.
आखिर कहां फंसा है पेंच
गहलोत सरकार पायलट के वसुंधरा सरकार के आरोपों पर एक जांच कमेटी बना दें. लेकिन इसके लिए गहलोत तैयार नहीं है. उनका मानना है कि इतने कम वक्त में न जांच हो पाएगी. उल्टे चुनावी मौके पर ये राजनैतिक द्वेष की भावना से उठाया गया कदम लगेगा. ऐसे में गहलोत मौका देख विपक्ष के बहाने सचिन पर निशाना साध रहे हैं. वहीं, सचिन पायलट को कैम्पेन कमेटी का चैयरमैन बनाने का प्रस्ताव दिया गया. लेकिन सचिन के करीबी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री के रहते इस पद का क्या महत्व है, विपक्ष में अगर पार्टी होती तो महत्व था.
कांग्रेस रणनीतिकारों के छूट रहे पसीने
दरअसल, पायलट एक अहम ओहदे के साथ मूल रूप से टिकट बंटवारे में अपनी बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं. जिससे चुनाव बाद उनके समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा हो. इन्हीं पेंच को सुलझाने में कांग्रेस रणनीतिकारों के पसीने छूट रहे हैं और सबसे अहम बात ये है कि अब तक इस पूरे मसले से गांधी परिवार में दूरी बनाए रखी है. पूरा जिम्मा खरगे के कंधों पर है. ऐसे में पेंच सुलझा नहीं है तो बैठकों का टलना लगातार जारी है.