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सरेराह लड़की को 36 चाकू, दिल्ली को देना होगा इन 5 सवालों का जवाब

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आज टीवी और सोशल मीडिया पर दिल्ली में 16 साल की लड़की की चाकुओं से गोदकर हत्या करते जरूर देखा होगा. अगर नहीं देखा है तो आपको जरूर देखना चाहिए. ये सलाह आपके मनोरंजन के लिए नहीं दे रहा . ये इसलिए जरूरी है कि ताकि आप जान सकें कि आप जिस पीढ़ी में जी रहे हैं वो कितनी नपुंसक हो चुकी है. सरेराह एक मासूम लड़की को एक लड़का चाकुओं से गोद रहा है और दिलवाले दिल्ली के लोग आराम से टहलते हुए चहलकदमी कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस का इकबाल तो खत्म हो ही चुका है दिल्ली वाले भी शायद जज्बात खो चुके हैं. इसलिए ही कह रहा हूं कि ये विडियो जरूर देखिए और अपने अंदर के इंसान को देखिए कि वो जिंदा है कि नहीं. अगर आपके अंदर भी इस घटना को देखकर इंसानियत का जज्बा न जागे तो उसे जगाने के लिए जो भी जतन करना पड़े करिए नहीं तो इंसानियत खतरे में पड़ जाएगी. इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस और दिल्ली के लोगों को इन पांच सवालों का जवाब देना होगा.

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1-एक बच्ची की हत्या हो रही है लोग भाग भी नहीं रहे आराम से टहल रहे

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एक 16 साल की लड़की को एक वहशी दरिंदा चाकुओं से गोद रहा है. लड़की की दारुण चीखों से भी माहौल भयावह नहीं हो रहा है. लोग आराम से टहल रहे हैं. क्या दिल्ली के लोग ऐबनॉर्मल हो चुके हैं? मानवता नाम की चीज यहां बिल्कुल भी नही रह गया है. एक वहशी दरिंदे को रोकने का प्रयास नहीं करना समझ में आता है कि लोग डर के चलते ऐसा कर रहे होंगे.डर नामक भाव भी एक इंसान होने का लक्षण दिखाता है. पर यहां तो डर भी नहीं है लोग हत्या हो रही है और आराम से आ जा रहे हैं. दहशत के चलते इधर उधर भाग भी नहीं रहे हैं. कोई विडियो बनाने , पुलिस को इन्फार्म करने की भी जहमत नहीं उठा रहा है. क्या ऐसी मानसिकता के लोगों से एक स्वस्थ समाज की स्थापना की उम्मीद की जा सकती है. पुलिस कहां तक आपको बचाने आएगी?

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2-क्यों दिल्ली पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है

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अभी कुछ दिनों पहले की बात है कि दिल्ली में एक उचक्के को एक पुलिस वाला पकड़ लेता है. उसे थाने ले जाने की कोशिश कर रहा है. इस बीच उस उचक्के की ऐसी हिम्मत होती है कि वह उस वर्दीधारी पुलिस को एक हाथ से ही लगातार मारने लगता है. अधेड़ पुलिस वाला उसके वार से बुरी तरह घायल हो जाता है. भीड़ में से कोई उसे बचाने नहीं आता है. घायल पुलिस वाले की एक महीने बाद मौत हो जाती है. अगर वर्दीधारी पुलिस को मारने की औकात एक स्नेचर में है तो समझ सकते हैं पुलिस का इकबाल कितना रह गया है बदमाशों पर . जिस वर्दी को देखकर बदमाशों की रुह कांपती थी वो रौब ही खत्म हो चुका है. दिल्ली पुलिस को अपना इकबाल फिर से बुलंद करना होगा. अब दिल्ली पुलिस को यह सोचना होगा कि किस शरीफ इंसानों की जगह चोर उचक्के और मवाली टाइप के लोग कैसे उससे खौफ खाएं?

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3-घटना के समय कोई सामने नहीं आया , क्या अब आएंगे लोग सामने

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लड़की को 36 बार चाकू मारता रहा साहिल और लोग आराम से निकलते रहे. पर क्या अब हत्यारे को फांसी दिलाने के लिए लोग सामने आएंगे. शायद इसका उत्तर भी नहीं ही होगा. इसके पीछे जितना कारण लोगों का डर है उससे अधिक डर पुलिस की कार्यशैली से है. लोग जानते हैं कि उनके एक बार सामने आने पर दिल्ली पुलिस के चक्र में वो इस तरह उलझेंगे कि उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाएगा. दिल्ली पुलिस को यह सोचना होगा कि आखिर क्यों लोग ऐसी घटनाओं के वक्त पुलिस से दूरी बनाना उचित समझते हैं? क्या दिल्ली पुलिस आम दिल्ली वाले का दोस्त बन सकेगी?

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4-क्या यूपी पुलिस से सीख लेनी होगी दिल्ली पुलिस को

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दिल्ली की इस घटना पर बहुत ले लोगों को यह कहते सुना कि अगर यूपी में ये होता तो अब तक हत्यारोपी के घर बुलडोजर पहुंच चुका होता. लोग कह रहे हैं कि इस हत्यारे का सीधे एनकाउंटर होना चाहिए. पहले भी दिल्ली पुलिस यूपी पुलिस के तर्ज पर दंगाइयों के नाम का पोस्टर लगा चुकी है. क्या यूपी पुलिस की तर्ज पर दिल्ली पुलिस को एक्शन लेना चाहिए. आखिर दिल्ली पुलिस का इकबाल कैसे लौटेगा.

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5-क्या पैरंटिंग में कमी ऐसी घटनाओं को बढ़ा रहा है

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जाहिर है कि इस हत्याकांड के बाद अब लड़की के चरित्र पर सवाल उठाएं जाएंगे. दिल्ली पुलिस भी मामले को हल्का करने के लिए लड़की का चरित्रहनन करने की कोशिश करेगी. हमारे और आपमें से बहुत से लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि लड़की को घर से निकलने की क्या जरूरत है. लड़कियों को लडकों से दोस्ती करने की क्या जरूरत है? जाहिर है बहुत से सवाल उठेंगे. पर क्या ये सही नहीं है कि हमारी पैरंटिंग कहीं न कहीं से कमजोर है. दिल्ली सरकार को भी बेहतर पैरंटिंग के लिए कुछ कदम उठाने होंगे.

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