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‘विपक्ष कुछ भी कर ले, आएंगे तो मोदी ही’, BJP को हर राज्य में चाहिए बस गडकरी या योगी

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पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के 9 साल आज पूरे हुए हैं. अब इंतजार अगले छह महीने में होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा के चुनाव का है. बीजेपी ने न सिर्फ इन चारों विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं, बल्कि मोदी सरकार के तीसरे टर्म की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. गांव-गांव में मोदी सरकार के 9 साल की उपलब्धियों और लोकहितकारी योजनाओं की जानकारियां लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया गया है.आज (30 मई, मंगलवार) इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी ने थोड़ी देर पहले एक ट्वीट किया है. अपने इस ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा है कि, ‘आज हम राष्ट्रसेवा के 9 साल पूरे कर रहे हैं. इस मौके पर मैं कृतज्ञता से ओतप्रोत हूं. हर फैसला जो लिया गया, हर काम जो किया गया, वो जनता के जीवन में सुधार की इच्छा से प्रेरित होकर किया गया. हम भारत को विकसित बनाने की कोशिश करते रहेंगे.’ 9 साल की इस विकास यात्रा की झलक https://nm-4.com/9yrsofseva वेबसाइट पर देखी जा सकती है. अलग-अलग सरकारी योजनाओं का लोगों को कैसे फायदा पहुंचा, यहां देखा जा सकता है.

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मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना की चुनौती; ऐसे निपटे BJP

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कर्नाटक में 224 में से 136 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में 230 में से 150 सीटें जीतने का दावा किया है. कांग्रेस नेतृत्व मजबूती से कमलनाथ को बैक कर रहा है. राजस्थान में इमोशनल अपील कर के अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद निपटाने की कोशिशें शुरू हैं. दूसरी तरफ बीजेपी की तरफ से मध्य प्रदेश में नेतृत्व बदलने की चर्चा है. राजस्थान को लेकर फिलहाल रणनीति साफ नहीं है. छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के बाद बीजेपी का कोई नेतृत्व या चेहरा सामने नहीं आ पाया है. तेलंगाना में भी बीजेपी की रणनीति साफ होनी बाकी है.अब देरी किए बिना तुरंत फैसले का वक्त है. हर राज्य में पीएम मोदी के हाथों योगी आदित्यनाथ और नितिन गडकरी जैसा नेतृत्व खड़े किए जाने की जरूरत है.

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यूपी में योगी, महाराष्ट्र में गडकरी; बाकी राज्यों में भी इन जैसा ही हो कोई

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इन चारों राज्यों की विजय की नीति से ही लोकसभा चुनाव की जीत की कुंजी खुलेगी. हाल ही में एक खबर महाराष्ट्र में उड़ी थी. यह कहा जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली भेजा जा सकता है और नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का नेतृत्व सौंपा जा सकता है. पता नहीं, इस खबर में कितनी सच्चाई है. लेकिन अगर इस खबर में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह खबर सकारात्मक परिणाम लाने की ताकत रखती है. बीजेपी विकास के 9 साल की पिक्चर दिखाकर आने वाले चुनावों को जीतने की रणनीति तैयार कर रही है. ऐसे में दिल्ली में मोदी, महाराष्ट्र में गडकरी का फंडा काम कर सकता है. इसकी एक अहम वजह है.

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शरद पवार की महाविकास आघाड़ी की गाड़ी रोक सकते हैं गडकरी

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शरद पवार के कद की राजनीति से निपटने के लिए नितिन गडकरी की विकास पुरुष की छवि बीजेपी के काम आ सकती है. महाराष्ट्र में जिस तरह पवार की छवि राज्य और देश की राजनीति के पितामह की है, उसी तरह गडकरी की छवि विकास पुरुष की है. गडकरी की इस छवि से निपटने में विपक्ष का कामयाब होना मुश्किल होगा. वरना हाल के सर्वे के मुताबिक महाविकास आघाड़ी की इकट्ठी ताकत बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के लिए कड़ी चुनौती साबित होने वाली है. फडणवीस के खिलाफ रणनीति तो एमवीए तैयार कर चुकी होगी, गडकरी का आना विपक्ष को चौंका सकता है और उनके खेमें में खलबली मचा सकता है.

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उत्तर प्रदेश में जैसे काम कर रहे हैं योगी, बाकी राज्यों में भी नेतृत्व करे बैचलर पार्टी

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इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में नेता की छवि की बहुत ज्यादा अहमियत होती है. गांधी का अधनंगा फकीर होना उनके महात्मा बनने की एक वजह बना था. पीएम मोदी का बैचलर होना भी उनकी सफलता की एक बड़ी वजह बना था. योगी आदित्यनाथ की बहन का परिवार आज भी जिस हाल में है, यह बात योगी आदित्यनाथ को यूपी में मजबूती प्रदान करता है. जनता की बड़ी तादाद यह मानकर चलती है कि जैसे दिल्ली में मोदी और यूपी में योगी हैं, उसी तरह हर राज्य में बैचलर पार्टी के हाथ सत्ता की चाबी हो तो शासन करप्शन फ्री होगा. करप्शन की एक बड़ी वजह परिवारवाद है, इसलिए सत्ता बैचलर्स के हाथ होनी चाहिए.

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राजस्थान में राजे ही सब साधे, म.प्र. में उमा भारती? होगी यही BJP की रणनीति?

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ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मध्य प्रदेश में उमा भारती अगली मुख्यमंत्री का चेहरा बन कर सामने आ सकती है? अगर इसका जवाब हां है, तो बीजेपी के लिए यह फायदे की बात हो सकती है. कुछ दिनों पहले यह खबर उड़ी भी थी कि शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली बुलाया जा सकता है. ठीक उसी तरह जिस तरह फडणवीस को दिल्ली बुलाने की बात चली थी. इसी तरह छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी या तो गडकरी जैसा विकास पुरुष ढूंढा जाए या योगी जैसा निस्वार्थ कर्मयोगी. बीजेपी ने केरल विधानसभा चुनाव के वक्त दिल्ली मेट्रो का निर्माण करने वाले ई. श्रीधरन को प्रोजेक्ट किया था. उस वक्त यह बहुत बड़ी कामयाबी नहीं दिला सका लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वो तरीका आगे काम नहीं करेगा. तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में भी ऐसा कोई विकास पुरुष या कर्मयोगी की खोज जरूरी है, जिसे सामने रखकर बीजेपी अगले चुनाव को लड़ने की तैयारी करे. रही बात राजस्थान की तो यहां वसुंधरा राजे पर एक बार फिर भरोसा जताया जा सकता है, क्योंकि इतने बड़े राज्य में कोई और बड़ा नेतृत्व खड़ा होने लाएक फिलहाल दिखाई देता नहीं. वैसे इसमें गलत ही क्या है,जब कर्नाटक में एक वक्त में येदियुरप्पा के साथ बीजेपी ने नरमी दिखाई थी तो राजस्थान में वसुंधरा राजे पर भी भरोसा जताया जा सकता है.

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