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कई धड़ों में बंटी BJP, अब PM मोदी के फेस पर ही पार्टी लड़ेगी विधानसभा चुनाव

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नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राजस्थान में पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. पीएम मोदी इस बाबत राज्य के 25 जिलों का दौरा करने वाले हैं. कई धड़ों में बंटी बीजेपी के लिए यहां जीत सुनिश्चित करना एक गंभीर चुनौती है. इसलिए बीजेपी की कभी ट्रंप कार्ड रहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजेको झारखंड के चार लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दे दी गई है. वहीं प्रदेश में लोकल नेता के नेतृत्व पर भरोसा न जताकर पार्टी पीएम मोदी को सभी जिलों में उतारने की योजना पर काम शुरू कर चुकी है. पीएम मोदी कल 31 मई को एक बार फिर राजस्थान का दौरा करने वाले हैं जो उनका हाल हाल के दिनों में छठा दौरा है. इससे पहले वो 5 दफा पिछले 9 महीने में राजस्थान का दौरा कर चुके हैं. बीजेपी के लिए राजस्थान बेहद अहम है लेकिन पार्टी के भीतर की गुटबाजी परेशानी का सबब बना हुआ है. बीजेपी ने इसी समस्या से निपटने के लिए अपने तुरुप के इक्के पीएम को मैदान में उतारने का मन बना लिया है. जाहिर है कि पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर गुटबाजी खत्म होने की गुंजाइश ज्यादा है. साथ ही बीजेपी एकजुट होकर मैदान में उतरेगी इसकी संभावना कई गुणा बढ़ जाती है. कर्नाटक में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए राजस्थान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 6 महीने के अंतराल पर ही होने हैं. यहां बीजेपी पिछले दो लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत सीटें जीत चुकी है जबकि विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में हार का सामना की है.

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वसुंधरा को झारखंड की जिम्मेदारी मिलने का क्या मतलब?

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बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव का बेहतरीन प्रदर्शन दोहराना बड़ी चुनौती है, वहीं राज्य के चुनाव में अशोक गहलोत को पटखनी देना आसान नहीं है. इसलिए बीजेपी अपने तुरुप के इक्के को आजमाने पर लगभग विचार कर काम पर जुट गई है जो क्राइसिस के समय पर पार्टी के लिए हर बार खेवनहार साबित हुए हैं. पार्टी अपने लोकल नेतृत्व को कमान देने के पक्ष में नहीं है. इसलिए पीएम का चेहरा सामने रख चुनाव लड़ा जाएगा और चुनाव में जीत के बाद उपयुक्त उम्मीदवार को ही सीएम बनाया जाएगा. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा सरकार की हार हुई थी. साल 2018 यानि कि पिछले विधानसभा चुनाव में “मोदी तुझसे बैर नहीं,वसुंधरा तेरी खैर नहीं” का नारा सुनने को खूब मिला था. विधानसभा चुनाव बीजेपी के पक्ष में नहीं रहा, लेकिन लोकसभा चुनाव का परिणाम बीजेपी के पक्ष में पूरी तरह गया था. जाहिर है पार्टी 25 में से सभी 25 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. ऐसे में कई धड़ों में बंटी बीजेपी के लिए असली चुनौती कांग्रेस के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का फायदा उठाकर राज्य में सरकार बनाने को लेकर है. वहां कांग्रेस के भीतर भी घमासान तेज है. सचिन पायलट भी अशोक गहलोत के खिलाफ सड़क पर उतर चुके हैं. राज्य में तीन दशक से हर बार सरकार बदलती रही है. इसलिए बीजेपी के लिए सरकार बनाने की संभावना ज्यादा है.

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बीजेपी के लिए राजस्थान कड़ी परीक्षा

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अशोक गहलोत की जादूगरी के अलावा गजेंद्र शेखावत, ओम बिरला, अर्जुन मेघवाल और वसुंधरा राजे कैंप को साधना बीजेपी के लिए किसी कड़े इम्तिहान से कम नहीं है. अशोक गहलोत कई सोशल वेलफेयर स्कीम की घोषणा कर राज्य में बड़ा लाभार्थी वर्ग तैयार करने में जुट गए हैं. वहीं ओबीसी चेहरे के तौर पर दमदार चेहरा अशोक गहलोत के पक्ष में जाता है. जाहिर है इन सब परेशानी का हल एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जो अपनी इमेज के अलावा ओबीसी और हिंदुत्व की छवि रखने की जोरदार खूबियां रखते हैं. जाहिर है कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस कड़ी में हर जिले से सूचना मंगवाना शुरू कर दिया है. जिलेवार क्रम में जाति से लेकर पार्टी के पक्ष और विपक्ष की चीजों को परखा जा रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि राजस्थान में बीजेपी के लिए वसुंधरा ही सबसे मजबूत नेता हैं लेकिन वो अपने नेतृत्व में एक बार फिर सरकार बनवा सकती हैं, इसको लेकर पार्टी में विश्वास की कमी है. इसलिए विश्वास की कसौटी पर पीएम का चेहरा ही है जो राज्य में जनता के साथ-साथ पार्टी के भीतर सभी गुटों को साधने की काबिलियत रखता है. यही वजह है कि बीजेपी पीएम को हर जिले में उतारने को लेकर अपनी तैयारी में जुट गई है.

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बीजेपी की चुनावी रणनीति में क्या ?

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बीजेपी अपने मजबूत गढ़ अजमेर में पीएम मोदी को उतार कर 9 साल पूरे होने को लेकर सभा की शुरुआत कर रही है. 31 मई को पीएम की सभा इस लिहाज से बेहद अहम है. अजमेर वैसे भी बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. पिछले साल 2018 के चुनाव में बीजेपी अजमेर की 8 में से 5 सीटें जीतने में सफल रही थी. दरअसल, बीजेपी की योजना पीएम मोदी की सभा उन जिलों में पहले करवाने की है जहां बीजेपी मजबूत स्थिति में है. लेकिन जहां बीजेपी कमजोर है वहां चुनाव नजदीक आने पर सभा करवाने की योजना है. इसलिए प्रदेश के 33 में से 7 जिलों को चिह्नित किया गया है जहां बीजेपी पिछले चुनाव में एक भी सीट जीतने में असफल रही थी. सचिन पालयट के प्रभाव की वजह से पूर्वी राजस्थान के 4 जिले में बीजेपी बुरी तरह पिछड़ गई थी. अशोक गहलोत के गढ़ जोधपुर में भी बीजेपी ज्यादातर सीटें हार गई थी. यहां कांग्रेस 10 में से 8 सीटें जीतने में सफल रही थी. नागौर, अलवर और चुरू में भी बीजेपी की हालत दयनीय रही है. जाहिर है कि इन इलाकों में बीजेपी अपनी मजबूत पकड़ चाहती है. लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में बीजेपी हर हाल में परचम लहराना चाहती है. वैसे पीएम मोदी राजस्थान पिछले साल 2022 में 30 सितंबर को अम्बा माता के दर्शन के लिए आए थे. इसके बाद 1 नवंबर को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में दूसरी बार और तीसरी बार 8 जनवरी 2023 को गुर्जर समाज के आराध्य देव देवनारायण भगवान की जयंती समारोह में आ चुके हैं. फरवरी और मई में दौसा और नाथ तथा और आबू रोड में बड़ी सभा को संबोधित कर चुके हैं. ऐसे में छठी बार अजमेर का दौरा अहम इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि केंद्र में 9 साल पूरे होने के बाद पीएम मोदी ने राजस्थान को ही सभा करने के लिए पहली जगह चुना है. जाहिर है इसके पीछे आने वाले चुनाव को लेकर पार्टी की विशेष रणनीति है जिस पर पीएम मोदी आने वाले दिनों में काम करने वाले हैं.

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