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एजुकेशन हब या सुसाइड पॉइंट! कोटा 2 महीने में 9 छात्रों ने लगाई फांसी, पढ़ाई का प्रेशर या लव अफेयर?

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 राजस्थान का कोटा एजुकेशन का बड़ा हब है. आईआईटी और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों की पहली पसंद है. छात्र यहां अपने सपनों को लेकर आते हैं और उसी सपने को पूरा करने में जी जान से जुट जाते हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से कोटा छात्रों के सुसाइड को लेकर सुर्खियों में है. इसी साल मई और जून के महीने में अब तक कोटा में नौ छात्र सुसाइड कर चुके हैं. यही नहीं बीते मंगलवार को एक साथ दो छात्रों ने फांसी लगा ली. सुसाइड की इन घटनाओं से छात्रों को कोटा भेजने वाले माता-पिता भी चिंचित हैं. बीते मंगलवार को उदयपुर के एक 18 वर्षीय मेडिकल के छात्र ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली. पुलिस के मुताबिक, मेहुल वैष्णव नाम का छात्र NEET की तैयारी कर रहा था. पुलिस का कहना है कि छात्र के शव के पास से कोई भी सुसाइड नोट भी नहीं मिला. छात्र उदयपुर जिले के सलुम्बर का निवासी था. अभी दो महीने पहले ही कोटा आया था. यहां एक इंस्टीट्यूट में NEET की तैयारी कर रहा था.

घटना के समय बाहर गया हुआ था रूममेट

पुलिस ने बताया कि हमें सूचना मिली कि विज्ञान नगर इलाके के एक हॉस्टल में छात्र मेहुल ने फांसी लगा ली है. जब हम मौके पर पहुंचे तो देखा कि छात्र का शव पंखे से लटक रहा था. मेहुल के साथ उसका एक रूम पार्टनर भी था, लेकिन घटना के समय वह मौके पर मौजूद नहीं था. वह रात में ही कहीं बाहर चला गया था. सुबह जब काफी समय तक मेहुल ने रूम नहीं खोला तो अन्य छात्रों को अनहोनी की आशंका हुई.

केयर टेकर ने तरवाजा तोड़कर देखा तो पंखे से लटका मिला शव

छात्रों ने इसकी जानकारी केयर टेकर को दी. केयर टेकर ने जब दरवाजा तोड़ा तो देखा कि मेहुल पंखे से लटका हुआ था. पुलिस ने मेहुल के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. उसी दिन कोटा में इसी तरह की एक घटना और घटी. मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी. वह कोटा में ही एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था. वह दो महीने पहले ही कोटा आया था.

2 महीने में 9 छात्रों ने किया सुसाइड

बता दें कि पिछले दो महीनों में कोटा में कुल नौ छात्रों ने आत्महत्या की है, जिनमें से पांच मामले मई महीने में और चार मामले इस साल जून में सामने आए हैं. इस बीच, मृत छात्रों के माता-पिता ने अपने बच्चों द्वारा उठाए गए ऐसे कदम के पीछे के कारणों पर चिंता जताई है. माता-पिता का कहना है कि उन्हें अभी तक कॉलेज/संस्थान के अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है कि क्या छात्रों को पढ़ाई को लेकर दबाव का सामना करना पड़ा है.

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