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जिस एनसीपी की वजह से टूटी शिवसेना, उसी को साथ लाए शिंदे

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मुंबई: अजित ‘दादा’ पवार, महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें दादा ही कहते हैं. आज (2 जुलाई, रविवार) उनकी दादागिरी फिर दिखी. पिछले तीन सालों में तीसरी बार वे उप मुख्यमंत्री बन गए. सुप्रिया दीदी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि अजित पवार राजनीति के अमिताभ बच्चन हैं. हर पार्टी उन्हें लेना चाहती है. उन्होंने यह एक बार फिर यह सच कर दिखाया. वे महाविकास आघाड़ी में भी उप मुख्यमंत्री थे अब शिंदे सरकार में भी उम मुख्यमंत्री बने हैं. इस पर एकनाथ शिंदे के की जुबान से एक जबर्दस्त बयान आया है.उन्होंने कहा है कि अजित पवार के आने से डबल इंजन की सरकार अब ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई है. यह ट्रिपल इंजन की सरकार महाराष्ट्र की तरक्की के लिए अब ज्यादा ताकत से काम करेगी. ये वही एकनाथ शिंदे हैं जिन्होंने दो वजहों से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी.

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तब- शिवसेना में फूट की एक वजह अजित पवार, अब- उनके आने से बनी ट्रिपल इंजन की सरकार

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उन्होंने कहा था कि उनके नेतृत्व में शिवेसेना ने हिंदुत्व को छोड़ दिया है. बीजेपी को छोड़ कर कांग्रेस-एनसीपी की गोद में जाकर बैठ गई है. उन्होंने कहा था कि अगर बालासाहेब ठाकरे होते तो कभी कांग्रेस के साथ नहीं जाते. इसके अलावा जो दूसरा तर्क दिया गया वो यह कि शिवसेना का मुख्यमंत्री होते हुए भी अजित पवार वित्तमंत्री होने के नाते शिवसेना के विधायकों को फंड देने में दस सवाल करते हैं. सिर्फ एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों को फंतड दिए जाते हैं. शिवसेना के विधायक उनके पास जाते हैं तो वे खिल्ली उड़ाते हैं. विधायकों ने उद्धव ठाकरे से शिकायत भी की, लेकिन उद्धव ठाकरे ने कुछ नहीं किया. इससे विधायकों में भारी असंतोष है.

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जो दादा शिवसेना की बगावत के लिए बने सवाल, उनका साथ लेकर अब चलेगी शिंदे सरकार

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अब वही अजित दादा पवार शिंदे सरकार में शामिल हो चुके हैं. अब वही अजित पवार फिर से उप मुख्यमंत्री बने हैं. जिस एनसीपी और अजित पवार की दादागिरी की वजह से शिवसेना के विधायकों ने बगावत की, अब उन विधायकों को उन्हीं अजित पवार के साथ काम करना है. एकनाथ शिंदे को इस सवाल का जवाब तो देना ही पड़ेगा. या फिर ठाकरे गुट के आरोप अपनी जगह पर कायम रहेंगे कि एकनाथ शिंदे अति महात्वकांक्षी थे और उनके विधायक अलग-अलग घोटालों में फंसे थे और एकनाथ शिंदे ने उन्हें जांच और कार्रवाइयों से बचने का सेफ्टी प्रदान की.बता दें कि अजित पवार के साथ एनसीपी के 9 मंत्रियों ने आज शपथ ली है और कहा जा रहा है कि 54 विधायकों में से एनसीपी के 40 विधायक अजित पवार के साथ हैं. यह स्क्रिप्ट तो उसी दिन लिख दी गई जिस दिन शरद पवार ने पुत्री प्रेम में सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र की बागडोर सौंप दी. जब कि महाराष्ट्र में यह एनसीपी का सामान्य कार्यकर्ता भी जानता है कि अजित पवार की पकड़ महाराष्ट्र में सुप्रिया सुले से बहुत ज्यादा है. महाराष्ट्र में इतिहास दोहराया है. बालासाहेब ठाकरे ने राज ठाकरे की काबिलियत को नजरअंदाज करते हुए उद्धव के हाथ कमान दी थी. राज ठाकरे पार्टी से अलग हो गए. आज एनसीपी मेें अजित पवार पार्टी ही ले उड़े.

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