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दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा वेस्ट (नोएडा एक्सटेंशन) के 30 बिल्डर्स पर भारी जुर्माना लग सकता है. इन बिल्डरों पर अवैध रूप से भूजल निकालने का आरोप है. केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) से इन बिल्डर्स पर 230 करोड़ का जुर्माना लगाने की मांग की है. एनजीटी के आदेश पर मई में सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्लूयशन कंट्रोल बोर्ड और जिला प्रशासन की एक ज्वाइंट कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने बोरवेल के माध्यम से अवैध रूप से भूजल निकालने के लिए 38 डिफॉल्टर बिल्डरों पर 76 करोड़ रुपये का अंतरिम मुआवजा लगाया था.
41 प्रोजेक्ट में पाया गया था बोरवेल
– जून 2022 में एनजीटी में अर्जी दायर की गई थी. आवेदन में कहा गया था कि ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 40 बिल्डर 63 आवासीय प्रोजेक्ट में अवैध रूप से भूजल निकाल रहे हैं. जुलाई में एनजीटी ने जिला स्तर की ज्वाइंट कमेटी का गठन किया था, जिसमें जिलाधिकारी, स्टेट और सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को शामिल किया गया.
अक्टूबर में पैनल ने 33 प्रोजेक्ट की जांच की, जिसमें से 25 अवैध रूप से भूजल निकालते पाए गए.
– नवंबर में एनजीटी ने इन बिल्डरों से प्रोजेक्ट की कुल लागत का .5 फीसदी मुआवजा देने को कहा.
जनवरी 2023 में बिल्डर मुआवजा नहीं दे पाए. यूपी पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इन बिल्डरों को नोटिस जारी किया.
फरवरी 2023 में एनजीटी के पैनल ने 30 अन्य प्रोजेक्ट की जांच की, जिसमें 16 प्रोजेक्ट में अवैध रूप से भूजल निकाला जा रहा था.
– मई में यूपी पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 41 प्रोजेक्ट के 38 बिल्डरों पर 76.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.
-3 जुलाई को CGWA ने 30 बिल्डरों पर 230 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की.
यूपी पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी राधेश्याम ने कहा कि CGWA ने एनजीटी से इन बिल्डरों से मुआवजे के रूप में 230 करोड़ रुपये देने की मांग की है.