REPORT TIMES
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि अब तो पार्टियां ‘चुरा’ ली जाती है. दलों को तोड़ने वाली बात कोई नई नहीं है. चुनाव आयोग को इसका अधिकार नहीं कि वो हमारी पार्टी का नाम किसी और को दे दे. आयोग के इसी आदेश के खिलाफ उद्धव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई को सुनवाई होगी. चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया था. आयोग ने इस संबंध में 17 फरवरी को आदेश जारी किया था. पूर्व सीएम उद्धव विदरभा में थे.मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ उनके दादा जी (केशव ठाकरे) ने दिया था. किसी को यूं ही ‘चुराने’ नहीं देंगे. एनसीपी के ‘चुराए’ जाने और महा विकास अघाड़ी के टूटने के बाद अब उद्धव का वंचित बहुजन अघाड़ी से गठबंधन का प्लान है. यह वंचिन बहुजनों का एक गठबंधन है, जिसके अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर हैं. उन्होंने कहा कि सीएम बनने का उनका सपना नहीं था. उन्होंने कहा कि ‘मैंने बालासाहेब ठाकरने से वादा किया था कि महाराष्ट्र में एक दिन शिवसेना का सीएम होगा.’ साथ ही उन्होंने कहा कि इसका अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है कि पार्टी का नाम किसी और को सौंप दे.
अमित शाह के साथ सत्ता साझेदारी पर बनी थी सहमित
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अगर 2019 चुनाव में सत्ता साझेदारी पर बीजेपी राजी होती तो आज उसके कार्यकर्ताओं को किसी और पार्टी कार्पेट नहीं ढोना पड़ता. एक बार फिर उन्होंने दावा किया कि इसपर पहले ही सहमित बन गई थी. हालांकि, बाद में बीजेपी मुकर गई. चुनाव से पहले बजाब्ता अमित शाह इसपर राजी हुए थे.
पार्टियां न टूटे इसपर उद्धव ठाकरे ने दिया सुझाव
पहले की सरकार मतपेटी से बनी थी. अब की सरकार खोके से बनी है, क्योंकि आप किसी को भी मतदान करो लेकिन सरकार मेरी ही आएगी. जब ऐसा होने लगेगा तो कल कोई भी जो डरा धमका सकता है या पैसे का खेल कर सकता है वो भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन सकता है. उद्धव ने बालासाहेब ठाकरे कहते थे राइट टू रिकॉल होनी चाहिए, जैसे नोटा में है कि ‘मेरे मतदान से चुनकर आया प्रतिनिधि कुछ गलत करता है तो उसे वापस बुलाने का अधिकार हो.