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प्रताप सिंह खाचरियावास को मिली किस बात की सजा? जिलाध्यक्ष पद से छुट्टी की क्या रही वजह

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जयपुर: कभी पायलट तो कभी गहलोत खेमे में उछलकूद करने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास ने एक सवाल के जवाब में कहा था, “प्रताप सिंह से प्यार से कोई गर्दन भी ले सकता है, लेकिन जबरन मांगे से कुछ नहीं दूंगा.” अपने बड़बोलेपन के लिए सुर्खियों में रहने वाले खाचरियावास को कांग्रेस पार्टी ने जयपुर जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया है. इस फैसले के पीछे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उनसे नाराजगी और लागातार की जा रही उनकी बयानबाजी को वजह माना जा रहा है. साल 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों ने अपनी ही सरकार को बागी तेवर दिखाए थे. पायलट को उम्मीद थी कि कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी उनके इस विद्रोह में जुड़ेगे. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि खाचरियावास को पायलट का करीबी माना जाता था. पायलट के साथ मिलकर खाचरियावास ने वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में कई विरोध प्रदर्शन किए और लाठियां सहीं.

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सचिन पायलट गुट के खाचरियावास बने मंत्री

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राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद खाचरियावास ने राजपूत समाज को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करते हुए कांग्रेस से जोड़ा था. साल 2018 में इसका फायदा हुआ और पायलट गुट के खाचरियावास को कैबिनेट में जगह मिली. खाचरियावास 2020 तक पायलट गुट में ही गिने जाते थे. 2020 में जब पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला तो उनका ये साथी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में सरक गया.

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गहलोत के फैसले के खिलाफ उठाई आवाजा

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लंबे समय तक खाचरियावास दोनों गुटों को साथ रहने के लिए सलाहनुमा बयानबाजी करते दिखाई दिए. बीच-बीच में अपने बड़बोलेपन के चलते भी वो सुर्खियों में आए. हालांकि पिछले कुछ समय से उनके बयान और कदम सीधे मुख्यमंत्री को चुभने और चिढ़ाने वाले से लगे. सीएम अशोक गहलोत ने बजट भाषण के दौरान 19 नए जिलों का ऐलान किया था. इन 19 में दो जिले जयपुर को अलग कर के बनाए जाने की बात थी- जयपुर उत्तर और जयपुर दक्षिण.

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CM पद के लिए मेरा चेहरा बुरा है क्या?

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जयपुर को बांट कर दो जिले बनाने का प्रताप सिंह खाचरियावास ने विरोध किया. इस विरोध को जनता का समर्थन मिलता दिखा तो खाचरियावास और भी मुखर होकर बोलने लगे. ये विवाद थमा नहीं कि खाचरियावास की हैरिटेज मेयर के साथ खटपट का मामला भी मुख्यमंत्री गहलोत तक पहुंच गया. हाल ही में खाचरियावास खुद में मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं भी टटोलने लगे थे. चंद दिनों पहले उनका बयान आया कि मुख्यमंत्री पद के लिए उनका चेहरा बुरा कौन सा बुरा है. जानकारों का कहना है कि हाल ही में हुए इन्हीं सब घटनाक्रमों और बयानों के चलते प्रताप सिंह खाचरियावास के प्रति मुख्यमंत्री गहलोत के मन में नाराजगी रही है. वहीं सोमवार को पार्टी पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की लिस्ट में भी अशोक गहलोत की ज्यादा चली है. ऐसे में इस लिस्ट में प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम न होना कोई हैरानी का बात नहीं है.

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