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12 भाई, 12वीं तक पढ़ाई, लाल डायरी दिखाई, जानें कौन हैं बयानवीर राजेंद्र गुढ़ा

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राजेंद्र सिंह गुढ़ा की लाल डायरी से राजस्थान की राजनीति लाल हो गई है. अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में बयान देना उन्हें इतना महंगा पड़ा कि वह बर्खास्त हो गए. बर्खास्त होने के बाद कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा लाल डायरी लेकर कल विधानसभा पहुंचे. इस दौरान जमकर जबरदस्त हंगामा हुआ. पहले विधासनभा के बाहर कांग्रेस नेताओं से भिड़ंत हुई जैसे तैसे विधानसभा के अंदर पहुंचे तो संग्राम और भी तेज हो गया. बाद में मार्शल के जरिए राजेंद्र गुढ़ा को सदन से बाहर निकाला गया. राजेंद्र गुढ़ा जब सदन से बाहर आए तो रोने लगे. उन्होंने गहलोत सराकर के मंत्रियों पर पीटने का आरोप लगाया.राजेंद्र सिंह गुढ़ा मंत्री से अब सिर्फ कांग्रेस विधायक बनकर रह गए हैं. गुढ़ा को पायलट गुट का सबसे अहम नेता माना जाता है, वह खुलकर सचिन पायलट के पक्ष में मीडिया में बात करते हैं. यही वजह है कि उनको जब मौका मिलता है, वह गहलोत के खिलाफ बोलने से नहीं चूकते. लेकिन बड़ी बात यह है कि गुढ़ा हमेशा से पायलट खेमे में नहीं थे, बल्कि वह तो अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाते थे. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ. जानिए कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा.

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BSP से बने विधायक, बाद में थामा कांग्रेस का हाथ

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दिलचस्प बात यह है कि गुढ़ा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा नहीं पहुंचे, बल्कि वह मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से विधायक चुने गए थे. बाद में गुढ़ा कांग्रेस में शामिल हो गए. गुढ़ा को गहलोत ने मनपंसद विभाग नहीं दिया तो वह नाराज हो गए और इसके बाद पाला बदलते हुए पायलट खेमे में शामिल हो गए.

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गुढ़ा का जन्म 19 जुलाई 1968 को राजस्थान के पीलीबंगा में हुआ था. गुढ़ा को मिलाकर परिवार में 12 भाई हैं. साल 2008 में राजनीती में कदम रखने वाले गुढ़ा सिर्फ 12वीं क्लास तक पढ़े हैं. गुढ़ा तब बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. इन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों को हराया. बाद में गुढ़ा ने बीएसपी को अलविदा कह कांग्रेस का हाथ थामा, लेकिन यह उनको भारी पड़ा. अगले यानी साल 2013 के चुनाव में वह उदयपुरवाटी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा. हार मिली तो अगले चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया.

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बिन पेंदी का लोटा राजेंद्र गुढ़ा?

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गुढ़ा को बीजेपी बिन पेंदी का लोटा बताती है. इसकी वजह भी है. साल 2018 में जब कांग्रेस ने गुढ़ा को टिकट नहीं दिया तो वह फिर बीएसपी में शामिल हो गए. बीएसपी का टिकट मिला तो उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को मात दी. दिलचस्प बात यह है कि गुढ़ा बीएसपी से दगा कर फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में आए तो गहलोत ने उन्हें मंत्री मना दिया. लेकिन 21 जुलाई को जब विधानसभा में महिलाओं की सुरक्षा पर उन्होंने अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा किया तो गहलोत ने उनसे मंत्री पद छीन लिया.

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