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दो नाव पर क्यों सवार हो रहे पवार? PM मोदी के साथ मंच साझा करने पर इसलिए उठ रहे सवाल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शरद पवार आज यानी 1 अगस्त को मंच साझा करने वाले हैं. शरद पवार के इस फैसले से विपक्ष हैरान ही नहीं बल्कि परेशान भी है. विपक्षी एकता की तीसरी मीटिंग मुंबई में होने वाली है. लेकिन उससे ठीक पहले शरद पवार पीएम मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं. विपक्षी एकता की अहम कड़ी कहलाने वाले शरद पवार कहीं भतीजे अजित पवार की राह पर चलने की योजना तो नहीं बना रहे हैं, इस पर कयासों का बाजार गरम है. पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने का फैसला लेकर विपक्षी एकता की मजबूती के दावे को शरद पवार ने जोरदार झटका दिया है. महाविकास अघाडी के नेता और शरद पवार के प्रशंसक संजय राउत ने शरद पवार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. महाराष्ट्र की कांग्रेस इकाई चुप्पी साधे हुए है. पृथ्वीराज चौहान सरीखे नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जाहिर है शरद पवार कद्दावर नेता हैं और कांग्रेस विपक्षी एकता में दरार की वजह, लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक कारणों से कतई बनना नहीं चाहती है. विपक्षी एकता की असली परीक्षा सदन में दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले के खिलाफ तय होनी है. शरद पवार के गुट एनसीपी का राज्यसभा में क्या रुख होगा इसको लेकर सुगबुगाहट तेज है. आम आदमी पार्टी शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले कानून पर अपनी चिंता जा़हिर कर चुकी है. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से इस बाबत शरद पवार से बात करने की गुजारिश कर चुकी है. जाहिर है मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष का कॉर्डिनेशन बेहतर रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार के भविष्य को लेकर विपक्ष की एकता कहां तक कारगर रहती है, इसपर नजरें टिकी हुई हैं. महाराष्ट्र में शरद पवार के फैसले ने विपक्षी एकता की मजबूती को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. कहा जा रहा है कि शरद पवार के रास्ते विपक्षी एकता से अलग होते हैं तो ये विपक्षी एकता के लिए बड़ा झटका साबित होगा. दरअसल लोकसभा की सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर सबसे महत्वपूर्ण राज्य है. यहां यूपी के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा की 48 सीटे हैं.

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अजित पवार के साथ जाएंगे शरद पवार?

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एनसीपी में टूट के बाद ये पहला मौका है, जिसमें पीएम मोदी के अलावा शरद पवार और अजित पवार मोजूद होंगे. लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट के इस सम्मान समारोह में शरद पवार चीफ गेस्ट की भूमिका में पीएम मोदी को राष्ट्रीय पुरस्कार देने वाले हैं. मंच पर पीएम मोदी के अलावा महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में सीएम एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस मौजूद रहने वाले हैं, लेकिन टीम INDIA के इकलौते खास सदस्य शरद पवार की मौजूदगी देश की राजनीति में कई अन्य संभावनाओं की ओर इशारा कर रही हैं. विपक्ष पीएम नरेंद्र मोदी को संसद में घेरने की योजना को लेकर आक्रामक है, वहीं शरद पवार के इस फैसले से विपक्षी एकता की आक्रामकता की धार कुंद होते दिख रही है. दरअसल शरद पवार एनसीपी में टूट के बाद भी भतीजे अजित पवार के विरोध में बात करने से परहेज कर रहे हैं. प्रफुल्ल पटेल समेत छगन भुजबल सरीखे नेता शरद पवार से महाराष्ट्र की सरकार में शामिल होने के बाद दो बार सार्वजनिक रूप से मिल चुके हैं. इतना ही नहीं, विधानसभा परिसर में शरद पवार के बेहद करीबी समझे जाने वाले नेता जयंत पाटिल के साथ अजित गुट के नेता तटकरे की मुलाकात भी खासे चर्चा में रही है. इसलिए अजित गुट के अलग होने के बाद भी शरद पवार का अजित पवार के साथ मेलजोल विपक्षी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है. पवार परिवार राजनीति में नाटकीय फैसलों के लिए जाना जाता रहा है. इसलिए शरद पवार द्वारा पीएम के साथ इस वक्त मंच साझा करना विपक्षी एकता के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. वैसे भी अजित गुट लगातार दावा कर रहा है कि एनसीपी के दिग्गज शरद पवार को एनडीए खेमे में लाने की तैयारी में वो प्रयासरत है.

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मंच साझा करना शिष्टाचार या बदलाव की तैयारी?

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शरद पवार की सियासी चाल शतरंज में घोड़े की तरह होती है. शरद पवार कभी भी सीधी चाल चलने के लिए नहीं जाने जाते हैं. महाराष्ट्र में पहली बार सीएम बनने से लेकर एनसीपी के निर्माण तक के शरद पवार के फैसले हैरान करने वाले रहे हैं. हाल के दिनों में एनसीपी से सन्यास लेने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नाटकीय अंदाज में वापसी शरद पवार की असली राजनीतिक पहचान की बानगी है. मुंबई की तीसरी मीटिंग से पहले पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने के साथ ही शरद पवार हर संभावनाओं को खुला रख रहे रहे हैं. शरद पवार अपने वर्तमान घटक दलों को ये मैसेज तो दे ही रहे हैं कि उनके लिए एनडीए बाहें फैलाए खड़ा है. दरअसल शरद पवार एनडीए और INDIA के बीच अपने राजनीतिक भविष्य के आकलन में जुटे हैं. शरद पवार जानते हैं कि लोकसभा की कम से कम 11 सीटों पर एनसीपी का दबदबा उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है. इसलिए सत्ता के संतुलन में एनसीपी की भूमिका कहां बेहतर होगी इसको लेकर सधी हुई चाल को चलने में लगे हुए हैं. वैसे भी शरद पवार ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो तमाम पीएम के साथ बेहतर संबध रखने के लिए जाने जाते हैं. एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रिया सूले ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया था. लेकिन शरद पवार पीएम मोदी की सीधी आलोचना से तब भी बचते नजर आ रहे थे. विपक्षी एकता INDIA की तीसरी बैठक मुंबई में होने वाली है और उससे पहले लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में शरद पवार की मौजूदगी ने तीसरी मुलाकात से पहले राजनीतिक खेला होने की आशंका को काफी बढ़ा दिया है. विपक्ष की टेंशन इस बात को लेकर है कि शरद पवार INDIA की मजबूत पड़ते आधार को भतीजे अजित पवार की तर्ज पर कमजोर करने की कवायद तो नहीं कर रहे हैं.

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