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इतना ही नहीं, विधानसभा परिसर में शरद पवार के बेहद करीबी समझे जाने वाले नेता जयंत पाटिल के साथ अजित गुट के नेता तटकरे की मुलाकात भी खासे चर्चा में रही है. इसलिए अजित गुट के अलग होने के बाद भी शरद पवार का अजित पवार के साथ मेलजोल विपक्षी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है. पवार परिवार राजनीति में नाटकीय फैसलों के लिए जाना जाता रहा है. इसलिए शरद पवार द्वारा पीएम के साथ इस वक्त मंच साझा करना विपक्षी एकता के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. वैसे भी अजित गुट लगातार दावा कर रहा है कि एनसीपी के दिग्गज शरद पवार को एनडीए खेमे में लाने की तैयारी में वो प्रयासरत है. मंच साझा करना शिष्टाचार या बदलाव की तैयारी? शरद पवार की सियासी चाल शतरंज में घोड़े की तरह होती है. शरद पवार कभी भी सीधी चाल चलने के लिए नहीं जाने जाते हैं. महाराष्ट्र में पहली बार सीएम बनने से लेकर एनसीपी के निर्माण तक के शरद पवार के फैसले हैरान करने वाले रहे हैं. हाल के दिनों में एनसीपी से सन्यास लेने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नाटकीय अंदाज में वापसी शरद पवार की असली राजनीतिक पहचान की बानगी है. मुंबई की तीसरी मीटिंग से पहले पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने के साथ ही शरद पवार हर संभावनाओं को खुला रख रहे रहे हैं. शरद पवार अपने वर्तमान घटक दलों को ये मैसेज तो दे ही रहे हैं कि उनके लिए एनडीए बाहें फैलाए खड़ा है. दरअसल शरद पवार एनडीए और INDIA के बीच अपने राजनीतिक भविष्य के आकलन में जुटे हैं. शरद पवार जानते हैं कि लोकसभा की कम से कम 11 सीटों पर एनसीपी का दबदबा उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है. इसलिए सत्ता के संतुलन में एनसीपी की भूमिका कहां बेहतर होगी इसको लेकर सधी हुई चाल को चलने में लगे हुए हैं. वैसे भी शरद पवार ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो तमाम पीएम के साथ बेहतर संबध रखने के लिए जाने जाते हैं. एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रिया सूले ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया था. लेकिन शरद पवार पीएम मोदी की सीधी आलोचना से तब भी बचते नजर आ रहे थे. विपक्षी एकता INDIA की तीसरी बैठक मुंबई में होने वाली है और उससे पहले लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में शरद पवार की मौजूदगी ने तीसरी मुलाकात से पहले राजनीतिक खेला होने की आशंका को काफी बढ़ा दिया है. विपक्ष की टेंशन इस बात को लेकर है कि शरद पवार INDIA की मजबूत पड़ते आधार को भतीजे अजित पवार की तर्ज पर कमजोर करने की कवायद तो नहीं कर रहे हैं.

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हरियाणा के नूंह इलाके में बीते दिन हुए बवाल के बाद हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं. नूंह और आसपास के जिलों में हुई हिंसा में कुल 3 लोगों की मौत हुई है, जबकि एक दर्जन के करीब लोग घायल हुए हैं. अब इस घटना को लेकर पुलिस और प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि यात्रा पहले से ही तय थी और कई इनपुट ऐसे भी मिले थे कि यहां बवाल हो सकता है.सूत्रों के मुताबिक, मेवात में होने वाली धार्मिक यात्रा से दो दिन पहले ही मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी और बड़ी संख्या में लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की थी. मोनू मानेसर विवादित किरदार है और जुनैद-नासिर मामले में वांछित भी है. मोनू मानेसर की अपील के बाद ही सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट वायरल होने लगे थे. नूंह के एसपी के मुताबिक, LIU से कुछ इनपुट मिले थे लेकिन ये नहीं पता था कि इतना बवाल होगा,

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इसके बाद तुरंत अलर्ट किया गया. हमने 400-500 पुलिसवालों को तैनात किया था, यात्रा के वक्त नूंह एसपी छुट्टी पर थे इसलिए पलवल के एसपी को इसका इंचार्ज दिया गया. लेकिन हिंसा रुक नहीं पाई और बाद में भिवानी एसपी को स्पेशल चार्ज सौंपा गया. इनपुट मिलने के बाद भी रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती नहीं हुई थी, जबकि घटनास्थल से आरपीएफ का कैम्प आधे घंटे की दूरी पर ही था. जानकारी के मुताबिक, आरएएफ को इन्फॉर्म करने में भी देरी की गई है. यही सब इनपुट कई तरह के सवाल पैदा करते हैं, क्योंकि इनपुट मिलने के बाद भी लोकल पुलिस और प्रशासन ने कोई सख्ती नहीं बरती थी. शोभायात्रा में अगर हिंसा के इनपुट थे तो फिर इसे रोकने का फैसला क्यों नहीं किया गया है.

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नूंह में अभी बढ़ाई गई है सुरक्षा

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मंगलवार सुबह की जानकारी के मुताबिक, नूंह और आसपास के क्षेत्र में अब हालात काफी हद तक सामान्य हैं. बीते दिन यहां से ही हिंसा भड़की थी और अब केंद्र की ओर से भेजी जा रही मदद भी पहुंचने लगी है. मंगलवार सुबह तक अर्धसैनिक बलों की 13 कंपनियां पहुंच गई हैं, 6 और भी पहुंचने वाली हैं. सोमवार दोपहर को शोभायात्रा के वक्त हिंसा हुई थी, जिसमें कुल 3 लोगों की मौत हुई है. नूंह में हिंसा होने के बाद फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम में धारा 144 लगा दी गई है. फरीदाबाद, गुरुग्राम में स्कूल-कॉलेज भी बंद किए गए हैं. मंगलवार को सोहना में भी शांति कमेटी की बैठक होनी है.

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