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दुनिया को राह दिखाने वाली साइबर सिटी गुरुग्राम क्यों बन जाती है नफरत-हिंसा की नर्सरी?

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बड़ी-बड़ी इमारतें, मेट्रो की भागदौड़ और गाड़ियों की कतार… राजधानी दिल्ली से जब आप गुरुग्राम जाते हैं तो साइबर हब के इलाके का यही नजारा दिखता है. गुरुग्राम तेजी से बढ़ते भारत और आईटी के क्षेत्र में लहराते परचम की पहचान है लेकिन आजकल इसकी छवि बिल्कुल अलग है. गुरुग्राम इन दिनों हिंसा को लेकर चर्चा में है, जहां दो समुदाय आपस में भिड़ रहे हैं. ये पहली बार नहीं है जब गुरुग्राम का ऐसा हाल हुआ है, पिछले 2-3 साल में ऐसा बार-बार हुआ है.

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गुरुग्राम में भी फैल गई हिंसा

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हरियाणा के नूंह में सोमवार को एक शोभायात्रा के दौरान पत्थरबाजी हुई, जो बाद में बड़ी हिंसा में तब्दील हो गई. पहले ये आग नूंह में लगी और देखते ही देखते गुरुग्राम साइभी इसकी चपेट में आ गया. गुरुग्राम में हिंसा देर रात तक चली, जहां अलग-अलग सेक्टर में आगजनी और तोड़फोड़ की खबर आई.

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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोमवार की देर रात को सेक्टर 57 में भीड़ ने मस्जिद के इमाम को गोली मार दी. सिर्फ सोमवार ही नहीं बल्कि मंगलवार को भी गुरुग्राम को कुछ हिस्सों में आगजनी की बात सामने आई थी. गुरुग्राम के ही सोहना में दुकानें जलाने, तोड़फोड़ की बात सामने आई थी. हालात इतने बिगड़े थे कि गुरुग्राम में प्रशासन को स्कूल बंद करने पड़े थे.

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बार-बार होते हैं ऐसे मामले

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हरियाणा की हाईटेक सिटी जहां लोग अपना करियर बनाने जा रहे हैं, वहां सांप्रदायिक माहौल पैदा हो रहा है. नूंह हिंसा के बाद बिगड़ा माहौल कोई नया नहीं है, नमाज़ को लेकर पिछले 2-3 साल में गुरुग्राम सुर्खियों में रहा है. कई ऐसे मामले आए हैं, जहां सड़क पर नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद हुआ है.

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यहां बड़ी संख्या में ऐसे मुस्लिम हैं, जो फैक्ट्रियों या बिल्डिंगों में काम कर रहे हैं. शुक्रवार के दिन नमाज़ के लिए ये मजदूर वर्ग पार्क या पुरानी बिल्डिंगों का इस्तेमाल करता रहा है. लेकिन समय-समय पर हिन्दूवादी संगठनों ने ऐसा ना करने की चेतावनी दी है.

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पिछले पांच साल में बढ़ी हैं घटनाएं

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सड़क पर नमाज़ पढ़ने से माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया जा रहा है, साथ ही ये मामला लव जेहाद से आगे होते हुए ज़मीन कब्जाने तक पहुंच रहा है. साल 2018 से खुले में नमाज़ पढ़ने का विरोध बड़े स्तर पर हुआ है, मुस्लिम समुदाय का कहना है कि मजदूर वर्ग पिछले कुछ वक्त में बढ़ा है, लेकिन उस हिसाब से मस्जिदें नहीं हैं यही वजह है कि लोग सड़कों और पार्कों में नमाज़ पढ़ रहे होते हैं.

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साल 2018 में नमाज़ को लेकर प्रदर्शन हो, अक्टूबर 2022 में मस्जिद में भीड़ का घुसना हो या फिर अब नूंह में फैली हिंसा के बाद गुरुग्राम का माहौल बिगड़ना हो. 21वीं सदी में मिलेनियम सिटी का तमगा पाने वाले गुरुग्राम के लिए ये सब घटनाएं छवि बिगाड़ने वाली हैं और ये उस घिनौनी सच्चाई को सामने लाती हैं, जो चकाचौंध के पीछे छिप जाती हैं.

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