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कोटा में पढ़ाई के दबाव में छात्रों की खुदकुशी दर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. कोटा में रविवार को ही महज 4 घंटे के अंतर से दो और छात्रों ने खुदकुशी कर ली है. कुल मिलाकर कोटा में इस साल खुदकुशी करने वाले छात्रों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है. इस पर अब गहलोत सरकार गंभीरता से ले रही है. इसलिए अब कोटा में हर कोचिंग संस्थान में बुधवार के दिन ‘आधे दिन पढ़ाई, आधे दिन मस्ती’ कार्यक्रम जैसी एक्टीविटीज शामिल की जाएंगी. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इसके अलावा कोचिंग संस्थान उन छात्रों की पहचान भी करेंगे जो कि आत्महत्या कर सकते हैं और उनकी पहचान के बाद उन्हें मनोवैज्ञानिक सलाह भी दी जाएंगी. इन कदमों से छात्रों की आत्महत्याएं नियंत्रित की जा सकती हैं. इस पूरे मामले पर सोमवार को एक अहम बैठक हुई है जिसमें शहर के सभी आला अफसर मौजूद रहे हैं. वहीं इस मीटिंग में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
खुदकुशी रोकने बनाई समिति
सीएम अशोक गहलोत ने लगातार बढ़ रही छात्रों की आत्महत्या के मामले में एक समिति गठित की है, जिसका अध्यक्ष प्रमुख सचिव भवानी सिंह देधा को बनाया गया है. इन्ही की अध्यक्षता में यह महत्वपूर्ण मीटिंग की गई है. यह समिति जल्द ही कोटा का दौरा करके अन्य पहलुओं को भी समझने की कोशिश करेगी. सोमवार को की गई मीटिंग में अन्य फैसले भी लिए गए हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है छात्रों के सिलेबस को कम करना. इसके लिए विषय विशेषज्ञों से बात भी की जाएगी.
इस साल 22 छात्रों ने की खुदकुशी
बैठक में कोटा के जिला कलेक्टर ओपी बुनकर, पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी, अतिरिक्त कलेक्टर राजकुमार सिंह और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भगवत सिंह भी शामिल हुए. बता दें कि कोटा में पूरे देश से कई छात्र इंजीनियरिंग एंट्रेस परीक्षा जेईई और मेडिकल एंट्रेस परीक्षा एनईईटी जैसे सबसे मुश्किल एग्जाम्स की तैयारी करने के लिए आते हैं. लेकिन, पढ़ाई के प्रेशर में हर साल कई बच्चे खुदकुशी करते हैं. पिछले साल यह आंकड़ा 15 था जो कि इस साल अभी तक 22 पहुंच गया है.