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जहां माता पिता की सेवा होती है, वहां ईश्वर का वास होता है : संत नारायण भारती महाराज संत नारायण भारती महाराज का चिड़ावा में हुआ भव्य स्वागत

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चिड़ावा। संत नारायण भारती महाराज के चिड़ावा आगमन पर उनके शिष्यों व चिड़ावा वासियों ने उनके स्वागत व सम्मान में पलक पांवड़े बिछा दिए। नारायण भारती महाराज अपने 4 दिवसीय चिड़ावा प्रवास कार्यक्रम के तहत 26 अक्टूबर को चिड़ावा पहुंचे थे।
ईश्वर सर्व व्यापी हैं, श्रद्धा और भाव से प्रकट होते हैं
चिड़ावा पधारे बाड़मेर के प्रसिद्ध संत श्री नारायण भारती जी महाराज ने प्रवास के दौरान स्थानीय टीबड़ेवाल गेस्ट हाउस में रविवार रात प्रवचन में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण हो, लेकिन ये कैसे सम्भव हो ये बहुधा कोई नहीं जान पाता। बिना ईश्वर के भजन के यह सम्भव हो भी नहीं सकता। संत कहते हैं कि ईश्वर सर्व व्यापी हैं और हमसे दूर भी नहीं हैं, लेकिन प्रश्न फिर भी यही होता है कि ईश्वर अगर हैं तो फिर उनकी कृपा कैसे प्राप्त हो। तुलसीदास जी की चौपाइयों और रामसुखदास महाराज को उद्धृत करते हुए संत नारायण भारती जी महाराज ने बताया कि हृदय में श्रद्धा और विश्वास हो तो ईश्वर कृपा और भजन प्राप्त हो सकता है। भगवान महज ज्ञान से प्राप्त नहीं होते, वो तो स्वयं ब्रह्म हैं तो मंत्र से या तंत्र से नहीं, वे सिर्फ भाव से प्रकट होंगे।
मोबाइल के दुष्प्रभावों के प्रति किया सचेत
प्रवचन के माध्यम से ही संत नारायण भारती जी महाराज ने मोबाइल के दुष्प्रभावों के प्रति भी लोगों को सचेत किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान का यह अविष्कार संस्कृति को दूषित करने का साधन बनता जा रहा है। मोबाइल नैतिकता के पतन और संस्कारों के ह्रास का वाहक है और इसके स्वास्थ्य पर भी अनेक दुष्प्रभाव अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिनकी आजीविका और अन्य जरूरतें मोबाइल से चल रही हैं, उनके अलावा जो इसका अनावश्यक उपयोग कर रहे हैं, वह अनुचित है। उन्होंने खासतौर पर बच्चों को मोबाइल से दूर रखने का संदेश दिया अपने प्रवचन के माध्यम से दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में संस्कारों को तिलांजली दी जा रही है। इससे पहले संत नारायण भारती महाराज ने वृंदावन में शिव परिवार तथा राम दरबार के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भी भाग लिया। संत मंगलवार को सुबह शाकम्बरी माता, मनसा माता, सालासर बालाजी के दर्शन के लिए रवाना हो गए हैं। रात्रि विश्राम सालासर में करने के बाद बुधवार सुबह वे सालासर से आश्रम वरिया भगजी ढा़णा के लिए प्रस्थान करेंगे।
संत नारायण भारती महाराज का बचपन चिड़ावा में ही व्यतीत हुआ और प्रारम्भिक कर्म स्थली भी है चिड़ावा
आपको बता दें संत नारायण भारती महाराज की कर्मस्थली चिड़ावा ही है। जहां उन्होंने शिक्षा ग्रहण की तथा डालमिया स्कूल में संस्कृत के शिक्षक रहे। इसके बाद 1993 में बालोतरा बाड़मेर में सरकारी शिक्षक के रूप में ज्वाॅइनिंग की, जहां रहते हुए उन्होंने 1999 में सन्यास ग्रहण कर लिया। नारायण भारती महाराज शुरू से ही शिव शक्ति के सेवक व संत प्रवृत्ति के रहे हैं। बता दें नारायण भारती के प्रथम गुरू चंदन भारती महाराज हैं, जिनसे उन्होंने दीक्षा ली। नारायण भारती जी की जन्मस्थली डीग, भरतपुर व कर्मस्थली चिड़ावा तथा तपोस्थली बालोतरा, बाड़मेर है।
आयोजकों ने किया सम्मान
टीबड़ा गेस्ट हाऊस में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के आरम्भ होने पर नारायण भारती महाराज व उनके साथ बालोतरा से आए कुंदन सिंह राठौड़, रघुवीर सिंह राठौड़, हजारी सिंह यादव, गणपत सिंह राठौड़, महेंद्र सिंह सोढा, भरत कुमार प्रजापत व प्रताप सिंह शेखावत का भव्य स्वागत व सम्मान किया गया।
ये रहे मौजूद
प्रवचन के दौरान अशोक जोशी, अनिल जोशी, मनोहर जांगिड़, उमाशंकर शर्मा, सुशील कुमार दाधीच, प्रदीप मालसरीया, शेखर शर्मा, सुनील दाधीच, पंकज गुप्ता, अभियंक बसावतिया, मुकेश सैनी, दिनेश जांगिड़, राजेंद्र शर्मा, आनन्द मोरोलिया, चंद्रप्रकाश जोशी, रवि शर्मा, अनिरुद्ध तामडायत, मुकेश योगी, रमेश अग्रवाल, पवन जांगिड़, प्रेम मोरोलिया, लक्ष्मीकांत भारतीय, ग्यारसीलाल सैनी, हंसराज सैनी सहित सैंकड़ो की संख्या में कस्बेवासी मौजूद रहे।
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