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पायलट को इग्नोर नहीं करना चाहती कांग्रेस, राहुल के तेवर से क्या हिट विकेट हो गए गहलोत?

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राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एंटी-इंकबेंसी का सामना कर रहे विधायक को टिकट देने के मामले में फंस गई है, जिसके चलते ही सोमवार को चार घंटे तक चली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में फैसला नहीं हो सका. राहुल गांधी ने एंटी-इनकम्बेंसी वाले विधायकों के टिकट काटने पर जोर देते हुए अपने तेवर दिखाए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके इस रुख पर जवाब देते नहीं बन रहा है. इसके चलते ही सोमवार को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं हो सकी और अब दोबारा से मंगलावर को बैठक होगी. राहुल गांधी की नाराजगी की एक बड़ी वजह है कि अभी तक सभी कैंडिडेट फाइनल क्यों नहीं किए गए. सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल ने गहलोत से सवाल पूछे कि तीन महीने पहले गहलोत केंद्रीय नेतृत्व को इस भरोसे में लिए हुए थे कि राज्य में सरकार के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी नहीं है. कुछ विधायकों से जनता नाराज है और नाराजगी सिर्फ कुछ सीटों पर है, लेकिन जैसे-जैसे कैंडिडेटों के नाम का ऐलान हो रहा है तो राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं की भी नाराजगी सामने आ रही है.

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राहुल गांधी के अशोक गहलोत से सवाल

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राहुल गांधी ने कांग्रेस की चुनाव समिति की बैठक में गौरव गोगोई से सवाल किया कि हम सभी एंटी-इनकम्बेंसी वाले विधायकों के टिकट काटने के पक्ष में रहे हैं तो ये नाम क्यों हैं. इसके साथ ही गहलोत को उनकी बातें याद दिलाते हुए पूछा कि आप तीन महीने पहले कह रहे थे कि, हमारी सरकार के खिलाफ नाराजगी नहीं है…और आज आप कह रहे हैं कि उनका विकल्प उस सीट पर नहीं बचा है? साथ ही उन्होंने पूछा कि अगर ऐसा था, तो फिर आपने उन सीटों पर सेकेंड लाइन तैयार क्यों नहीं की?

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‘नाराजगी वाली सीटों पर सेकेंड लाइन तैयार क्यों नहीं की?’

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कांग्रेस नेता राहुल के कहने का मतलब ये है कि जिन विधानसभा सीटों पर विधायकों के खिलाफ नाराजगी थी और सीएम गहलोत को इस बारे में जानकारी भी थी तो वहां नए लोगों को मौका क्यों नहीं दिया गया. आज आप सभी विधायकों को टिकट दे रहे हैं, जहां पर पार्टी के पास विकल्प था वहां भी आपने नए लोगों को मौका नहीं दिया. राहुल गांधी ने यह बात गहलोत से कह कर साफ कर दिया है कि जब आपको सब बता था तो क्यों पार्टी नेतृत्व के सामने यह बात नहीं रखी और उस सीट पर विकल्प क्यों नहीं तलाशे.

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गहलोत के करीबियों पर राहुल गांधी की नजर

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राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में अपनी वापसी को लेकर जद्दोजहद में जुटी है. ऐसे में सीएम गहलोत को अपने करीबी नेता व विधायकों को टिकट दिलाने का दांव पर राहुल गांधी ने अपना वीटो पॉवर लगा दिया है. ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि कांग्रेस राजस्थान में अब गहलोत के मुताबिक बहुत ज्यादा नहीं चलना चाहती है. भले ही 95 टिकटों में गहलोत का दबदबा दिख रहा हो, लेकिन बची 105 सीटों में उनकी मनमर्जी के पक्ष में कांग्रेस नजर नहीं आ रही है.

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अशोक गहलोत ने अपने समर्थकों दिलाया टिकट

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हालांकि, अशोक गहलोत अपने तमाम समर्थकों को टिकट दिलाने की कोशिशों में जुटे हैं, जिसमें वो निर्दलीय विधायकों को हरहाल में टिकट दिलाना चाहते हैं. इसके लिए 2020 के सत्ता संकट में खड़े रहने की दुहाई दे रहे हैं. गहलोत के मुताबिक उन्होंने सरकार का साथ दिया था. पार्टी की दूसरी लिस्ट में एक साथ पांच निर्दलीय को टिकट दिए जाने की बात छिपी नहीं है. इस तरह सीएम गहलोत ने अपने दांव से सचिन पायलट को चुनाव से पहले बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की है ताकि चुनाव के बाद ज्यादातर जीतकर आने वाले विधायक उनके खेमे के हों और सरकार बनाने के दौरान उनके पक्ष में खड़े नजर आएं.

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सचिन पायलट की अनदेखी नहीं चाहते राहुल

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कांग्रेस आलाकमान गहलोत को चुनाव की आखिरी घड़ी में एक सीमा से ज्यादा अपनी बात नहीं थोपना चाहता, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी छूट नहीं देना चाहता है कि सब कुछ उनकी मर्जी के मुताबिक हो. इसीलिए राहुल गांधी ने एंटी-इनकम्बेंसी वाले विधायकों के टिकट देने पर सवाल खड़े कर दिए और अपना वीटो पावर लगाते हुए सोमवार को उनके नाम फाइनल नहीं होने दिए. इसके पीछे एक वजह सचिन पायलट भी है, जिन्हें कांग्रेस इग्नोर नहीं करना चाहती है.

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पायलट और गहलोत को साधने की कोशिश में कांग्रेस

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वहीं, सचिन पायलट भी बहुत ही सावधानी से चल रहे हैं और किसी तरह की बयानबाजी से बच रहे हैं. कांग्रेस नेतृत्व गहलोत में वर्तमान देख रही है जबकि पायलट में भविष्य, इसीलिए कांग्रेस दोनों ही नेताओं को साधकर रख रही थी, लेकिन गहलोत जिस तरह से सियासी तानाबाना बुन रहे हैं, उसके चलते राहुल गांधी ने अपने सियासी तेवर दिखा दिए हैं.

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भविष्य की सियासत पर है कांग्रेस की नजर

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कांग्रेस भले ही गहलोत के काम को लेकर चुनाव में उतरी हो, लेकिन उन्हें सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया है. इस तरह पायलट को भी उम्मीदें दी जा रही हैं और अब जिस तरह गहलोत के करीबी नेताओं के टिकट देने पर राहुल ने सवाल खड़े किए हैं, उससे एक बात साफ है कि कांग्रेस भविष्य की सियासत भी देख रही है. ऐसे में राजस्थान की सियासत में अपने-अपने दांव चले जा रहे हैं, लेकिन देखना है कि कौन बाजी मारता है.

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हालांकि, राहुल गांधी के चुनाव समिति की बैठक में तेवर से जरूर गहलोत पर हिट विकेट का खतरा मंडरा रहा है और अब तीसरे अंपायर के तौर पर मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी हैं. देखना है कि निर्णय किसके पक्ष में जाते हैं, लेकिन शह-मात के खेल जारी है?

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