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हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी आमने-सामने, लोकसभा से पहले टूट जाएगा गठबंधन?

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राजस्थान चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद हरियाणा में गठबंधन सहयोगी बीजेपी और जेजेपी एक बार फिर से आमने-सामने हो गए हैं. दरअसल हरियाणा में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से कुछ सीटें चाहती थी लेकिन बीजेपी की और से कोई रिस्पांस ना देने पर जेजेपी ने अपने दम पर ही करीब 19 विधानसभा सीटों पर राजस्थान में चुनाव लड़ा और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला लगातार राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार भी करते रहे. लेकिन जेजेपी ना तो अपने किसी भी प्रत्याशी को जिताकर विधायक बना पाई और उनके अधिकतर प्रत्याशियों की जमानतें भी जब्त हो गई. राजस्थान के नतीजे से उत्साहित बीजेपी ने हरियाणा की अपनी गठबंधन सहयोगी जेजेपी को तब आंखें दिखा डाली जब हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला ने कार्यकर्ताओं से दुष्यंत चौटाला को सीएम बनाने को लेकर तैयारी करने के लिए कहा. राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. दिग्विजय जेजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी है. दिग्विजय चौटाला ने तो यहां तक कह दिया कि हरियाणा की जनता केंद्र में मोदी को प्रधानमंत्री और हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को सीएम देखना चाहती है. जवाब में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओ पी धनखड़ ने जेजेपी को इशारों-इशारों में कह दिया कि सीएम बनने के सपने तो कोई भी ले सकता है लेकिन पहले राजस्थान चुनाव के नतीजे तो देखिए जहां पर आपने जोर-शोर के साथ चुनाव लड़ा था.\

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बीजेपी-जेजेपी में खींचतान की असली वजह

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इससे पहले भी कई बार दोनों ही दलों के नेता ये साफ कर चुके हैं कि आने वाले लोकसभा, विधानसभा चुनावों में दोनों ही पार्टियों गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगी या नहीं, ये आने वाले वक्त में ही तय होगा. जेजेपी एनडीए गठबंधन सहयोगियों की बैठक में भी शामिल हुई थी और सूत्रों के मुताबिक जेजेपी चाहती है कि हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में वो बीजेपी के साथ गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ें. जेजेपी कम से कम दो लोकसभा सीटें अपने खाते में चाहती हैं लेकिन सूत्रों के मुताबिक हरियाणा बीजेपी के नेता मानते हैं कि हरियाणा में बीजेपी मजबूत है और उन्हें किसी भी गठबंधन की जरूरत नहीं है.

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प्लानिंग के तहत हो रहा सबकुछ?

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कुछ राजनीति के जानकार भी ये मानते हैं की सोची समझी प्लानिंग के तहत जेजेपी और बीजेपी आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले अलग हो सकती हैं क्योंकि हरियाणा के जाट वोट बैंक पर कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा हमेशा से ही माना जाता रहा है और जेजेपी की मुख्य ताकत भी जाट वोट बैंक ही है. इसीलिए बीजेपी सोची समझी प्लानिंग के तहत जेजेपी को अलग ही चुनाव लड़वा सकती है ताकि जाट वोट बैंक एक बार फिर से जेजेपी के खाते में आ सके और फिर चुनाव के नतीजे के आधार पर दोनों ही पार्टियां एक बार फिर से गठबंधन पर एकजुट हो सकें. हालांकि ये सभी फिलहाल राजनीतिक कयास भर है लेकिन ये बात साफ है कि हरियाणा में बीजेपी, जेजेपी को ना तो लोकसभा और ना ही विधानसभा चुनाव में अपने खाते से कुछ भी सीट देने के मूड में है

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