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बिहार में जाति जनगणना के बाद अब महाराष्ट्र में इसकी मांग जोर पकड़ रही है. राज्य के अधिकतर राजनीतिक दलों की ओर से जाति जनगणना की मांग की गई है. बीजेपी भी जातीय जनगणना के पक्ष में है. इसलिए महाराष्ट्र में भी यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि अब यहां भी जाति जनगणना हो सकती है. ओबीसी और मराठा आरक्षण के मुद्दे के बीच अब यह मुद्दा भी जोर पकड़ने लगा है. दूसरी ओर जानकारी यह भी मिल रही है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जाति जनगणना पर एक अलग रुख अपनाया है. ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि राज्य में जाति जनगणना का मुद्दा बीजेपी के लिए भी सिरदर्द बन सकता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों और मंत्रियों के लिए एक बौद्धिक वर्ग का आयोजन किया था. इस दौरान संघ के विदर्भ सरसंघचालक श्रीधर घाडगे ने विधायकों का मार्गदर्शन किया. इसके साथ-साथ उन्होंने जातिवार जनगणना पर संघ की स्थिति भी स्पष्ट कर दी.
उन्होंने कहा कि एक तरफ हम जातिगत असमानता को मिटाना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग जाति जनगणना की मांग करते हैं. संघ का मानना है कि यदि जातिगत असमानता को मिटाना है तो जाति गणना की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, कुछ राजनीतिक दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं, लेकिन संघ का मानना है कि जाति जनगणना नहीं होनी चाहिए. श्रीधर घाडगे ने साफ किया है कि बीजेपी को संघ की इस भूमिका से कोई दिक्कत नहीं है. सरसंघचालक श्रीधर घाडगे ने आगे कहा कि इस धरती ने देश को कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए लोगों को तैयार करने का काम किया है. हमारे स्वयंसेवकों ने सभी क्षेत्रों में जाकर अच्छा काम किया है, फिर चाहे वो राजनीतिक क्षेत्र हो या फिर कोई भी क्षेत्र हो.
विधायकों के लिए संघ का पांच सूत्री कार्यक्रम
1- एक तरफ जातिगत भेदभाव पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, दूसरी ओर जाति जनगणना की मांग की जा रही है. हमारी भावना है कि बीजेपी को इस संबंध में एकजुट होकर खड़े होना चाहिए.
2- भारत की परिवार व्यवस्था को और मजबूत करना है.
3- सभी लोग पर्यावरण को संतुलित करें.
4- आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हमारी भूमिका अहम है. स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना.
5- संविधान में मिले नागरिकों को मिले अधिकार का पालन करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना जरूरी है.